जिलाधिकारी के आदेशों के बाद भी फुटकर मंडियों में टमाटर विक्रेता कालाबाजारी करने से बाज नहीं आ रहे हैं। कुछ समय पूर्व जिलाधिकारी सोनिका ने कालाबाजारी रोकने के लिए बकायदा टीमें गठित भी की थी। उन्होंने तब कुछ दिन मंडी में जाकर कालाबाजारी करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की थी।लेकिन इसके बाद अधिकारियों ने जिलाधिकारी के आदेश को ही ठंडे में डाल दिया। जिससे चलते फुटकर विक्रेताओं ने फिर से अपनी मनमानी शुरू करते हुए ग्राहकों की जेब पर फिर से डाका डालना शुरू कर दिया है। इसी वजह से जिस टमाटर का मूल्य प्रशासन द्वारा अधिकतम 110 रुपए किलो तय किया गया था उसके लिए फुटकर विक्रेता ग्राहकों से ₹200 से अधिक वसूल कर रहे हैं। निरंजनपुर सब्जी में टमाटर के दाम थोक में 90 रुपए किलो है। परंतु शहर की फुटकर मंडियों लालपुल, मोती बाजार, रेसकोर्स, 6 नंबर पुलिया सब जगह में फुटकर में टमाटर 200 से ₹250 किलो के भाव से बेचा जा रहा है जबकि निरंजनपुर मंडी से थोक में विक्रेता 80 से ₹100 किलो की दर से टमाटर खरीद कर ला रहे हैं।कालाबाजारी पर नकेल कसने के लिए जिलाधिकारी सोनिका ने पूर्व में जिला खाद्य आपूर्ति, मंडी समिति और प्रशासन के निरीक्षकों की समिति बनाई थी निरीक्षकों को हर रोज मंडी में प्रशासन की ओर से जारी की गयी सूची का जायजा लेना था। लेकिन टीम ने दो-चार दिन ही मंडियों का निरीक्षण किया तब कुछ दिन तक टमाटर व सब्जियों के दाम में कमी आई थी। लेकिन इसके बाद कार्यवाही ठंडे बस्ते में डाल दी गई, जिसके चलते फिर टमाटर ₹200 किलो से अधिक में बेचा जा रहा है।
इसीलिए अब फुटकर में टमाटर ₹200 किलो के भाव से मिल रहा है। जबकि प्रशासन ने अधिकतम मूल्य 110 पर रुपए किलो तय किया हुआ है। अगर ग्राहक दुकानदार से प्रशासन की तय दरों पर सब्जी देने को कहता है, तो वह मुख्य मंडी से ही अधिक दाम में माल आने की बात करता है। इसी मजबूरी के चलते ग्राहक को महंगे रेट पर सब्जी खरीदनी पड़ रही है।