माननीय उच्च न्यायालय द्वारा अवैध नियुक्ति पाये जाने पर हटाये जा चुके तत्कालीन कुलपति सुनील जोशी व अवैध कुलसचिव चिकित्साधिकारी राजेश अधाना द्वारा लूट खसूट करने के उद्देश्य से नियमविरुद्ध दो-दो उप कुलसचिवों को अवैध नियुक्त कर क्रमसःअधिष्ठान/क्रय/निर्माण, उप कुलसचिव, परीक्षा, मुख्य भंडार अधिकारी व नोडल अधिकारी, विधि जैसे महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंप गई थी,जिनके माध्यम से भारी धनउगाही भी हुई, परिणाम विजिलेंस जाँच, परन्तु आकाओं के हटाये जाने के बावजूद भी दोनों तथाकथित उपकुलसचिव कार्यरत, जबकि उपकुलसचिव का नियोक्ता पदाधिकारी शासन होता है जिसने विश्वविद्यालय में स्थाई उपकुलसचिव श्री संजीव पाण्डेय को नियुक्त कर रक्खा है।
परन्तु मलाई मार रहे अन्य तथाकथित उपकुलसचिव शैलेंद्र प्रधान और संजय गुप्ता, शासन ने भी अपने कई पत्रांक के माध्यम से इनको नियुक्त करने का आधार विश्वविद्यालय प्रशासन से पूंछा,परन्तु कोई भी असर नहीं।
संजय गुप्ता एसोसिएट प्रोफेसर के पद के सापेक्ष संविदा पर नियुक्त है एवम इनके द्वारा विश्वविद्यालय में प्रोफेसर के पद पर नियमित नियुक्ति हेतु अपना आवेदन भी दिया है। फिर कैसे एक आवेदक जो सारे नियम कायदे, विश्वविद्यालय की गोपनीयता को भंग करते हुए पहले नोडल अधिकारी, संबद्धता और बाद में उप कुलसचिव का कार्य सौंपा गया। आश्चर्य की बात ये भी है कि कुलपति सुनील जोशी द्वारा संजय गुप्ता को उप कुलसचिव बनाने का को आदेश जारी किया था उसकी प्रतिलिति खुद संजय गुप्ता को ही नहीं थी। फिर उनके द्वारा किस माध्यम से चार्ज लिया।
एक अलग बात ये भी है की विश्विद्यालय परिसरों में नियमित कार्मिकों के तैनात होने के बावजूद शासनादेशों के विपरीत आउटसोर्स कर्मियों से परीक्षा, संबद्धता, क्रय आदि का कार्य लिया जा रहा है।