उत्तराखंड में इन दोनों डेंगू ने कहर बरपाते हुए दहशत फैला दी है। विचारणीय बात यह है कि सबकी नाक के नीचे राजधानी देहरादून में डेंगू ने सबसे ज्यादा हाहाकार मचाया हुआ है।राजधानी देहरादून में सभी जिलों से सबसे ज्यादा डेंगू के मामले देखने को मिल रहे हैं। प्रदेश में डेंगू के मरीजों की संख्या 900 के पार पहुंच गई जिनमें से सबसे ज्यादा 500 मामले देहरादून में पाए गए हैं। इस आंकड़े को देखकर स्वास्थ्य विभाग के भी हाथ पांव फूल गए हैं। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की निगरानी में महक में समेत सभी जिलाधिकारी इस पूरे मामले में नजर बनाए हुए हैं। सचिव से लेकर आला अधिकारी अस्पतालों का औचक निरीक्षण कर रहे हैं। मुख्यमंत्री ने गढ़वाल कमिश्नर को निर्देशित भी किया है। दूसरी तरफ कुछ अस्पताल ऐसे भी हैं जो निश्चित होकर बैठे हुए हैं। ऐसा ही देहरादून मामला सीएमओ द्वारा कनिष्क अस्पताल का औचक निरीक्षण करने पर पाया गया है। CMO द्वारा निरीक्षण के दौरान कनिष्क हॉस्पिटल में यह पाया गया कि चिकित्सालय में डेंगू से पीड़ित मरीजों के लिए आईसोलेशन वार्ड नहीं बनाये गये ना ही हॉस्पिटल में बेड पर लेटे डेंगू मरीजों के लिए मच्छरदानी भी नहीं लगायी गयी है।
चिकित्सालय में स्थापित पैथोलॉजी लैब का निरीक्षण करने पर पाया गया कि मौके पर न तो पैथोलॉजिस्ट वहां थे और ना ही वहाँ पर लैब उपस्थित लैब टेक्नीशियन द्वारा डेंगू जाँच सम्बन्धित कोई जानकारी ही दी गयी।
हॉस्पिटल के लैब में प्लेटलेट कॉउन्ट से सम्बन्धित इस्ट्रूमेन्ट की रिपोर्ट भी उपलब्ध नहीं थी और ना ही प्लेटलेट कॉउन्ट बीस हजार से नीचे आने पर उसकी क्रास चेकिंग किसी अन्य एनएबीएल लैब से करवाये जाने के रिकार्ड मौके पर पाया गया। गढ़वाल कमिश्नर की अध्यक्षता में कार्यालय मुख्य चिकित्साधिकारी, देहरादून में समस्त पैथोलॉजिस्ट की डेंगू से सम्बन्धित बैठक आहुत की गयी थी और जिसमें डेंगू से सम्बन्धित जाँचों की रेन्डम क्रोस चैंकिंग की जानी थी, जो कि आपके द्वारा नहीं की गयी जबकि जिला स्तरीय निगरानी समिति द्वारा भी आपके चिकित्सालयों का निरीक्षण करने के बाद दिशा-निर्देश दिये गये थे।
इस महामारी पर लापरवाही बरतने पर उत्तराखण्ड महामारी अधिनियम 1897 (मलेरिया एवं डेंगू ) विनियम 2017 एवं क्लीनिकल इस्टैब्लिस्मेन्एक्ट के तहत रु 10000 का अर्थदण्ड जुर्माने के तौर पर लगाया गए है। जो अधोहस्ताक्षरी कार्यालय में चैक अथवा डिमांड ड्राफ्ट के द्वारा तीन दिवस के अंदर जमा कराना सुनिश्चित करने को कहा गया है। इसके साथ ही यह चेतावनी भी दी गई की भविष्य में ऐसी पुनराव्रती होती है तो अधिनियम के तहत कानूनी कार्यवाही भी की जायेगी।