नई दिल्ली। आम आदमी पार्टी के मुखिया और दो दिन पहले सुप्रीम कोर्ट से सशर्त जमानत पर बाहर आये दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने एक बड़ा सियासी दांव चला है ।
अरविंद केजरीवाल ने रविवार को आम आदमी पार्टी कार्यालय में कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा कि भाजपा ने उन पर बेईमानी और भ्रष्टाचार के आरोप लगाए हैं, अब जनता की अदालत में उनकी ईमानदारी का फैसला होगा। उन्होंने कहा कि दो-तीन दिन में विधायकों की बैठक में नया मुख्यमंत्री चुना जाएगा और चुनाव तक वह मुख्यमंत्री की कुर्सी पर नहीं बैठेंगे।
रविवार को उन्होंने ऐलान किया है कि वह दो दिन के भीतर मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे देंगे। दिल्ली स्थित आम आदमी पार्टी कार्यालय में कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा कि भाजपा ने मुझ पर बेईमानी, भ्रष्टाचार के आरोप लगाए हैं, अब जनता की अदालत में मेरी ईमानदारी का फैसला होगा। दो-तीन दिन में विधायकों की बैठक में नया CM चुना जाएगा। चुनाव तक मैं मुख्यमंत्री की कुर्सी पर नहीं बैठूंगा।
केजरीवाल ने कहा कि मनीष सिसोदिया पर भी वही आरोप हैं, जो मुझ पर हैं। उनका भी यही सोचना है कि वे भी पद पर नहीं रहेंगे, चुनाव जीतने के बाद ही पद संभालेंगे।
मुख्यमंत्री कौन होगा
केजरीवाल ने कहा कि जनता को तय करना है कि केजरीवाल ईमानदार है या बेईमान। चुनाव के बाद जनता ने चुना तो पद पर बैठूंगा। चुनाव होने तक पार्टी दो-तीन दिन में नया मुख्यमंत्री चुनेगी। आतिशी, कैलाश गहलोत, गोपाल राय, सौरभ भारद्वाज और सुनीता केजरीवाल में से कोई एक मुख्यमंत्री बन सकता है।
केजरीवाल बैठक में भगत सिंह की जेल में लिखी किताब “भगत सिंह की जेल डायरी” लेकर पहुंचे। कहा कि भगत सिंह के खत अंग्रेज बाहर ले जाते थे। मैं जेल में था, मेरी चिट्ठी एलजी तक नहीं पहुंचाई गई। मुझे धमकाया गया कि दोबारा ऐसा ना करूं।”
केजरीवाल ने कहा कि मैं सभी नॉन भाजपा सीएम से प्रार्थना करता हूं कि अगर PM जेल भेजें तो इस्तीफा मत देना। हम सबको मिलकर लड़ना है। बहुमत से सरकार आई और मुख्यमंत्री इस्तीफा दे दे। इनका फॉर्मूला आम आदमी पार्टी ने फेल कर दिया।
केजरीवाल बोले फरवरी में चुनाव हैं, मैं मांग करता हूं कि चुनाव नवंबर में कराए जाएं। महाराष्ट्र के साथ चुनाव हों। आपका फैसला आने तक मैं जिम्मेदारी नहीं संभालूंगा। आम आदमी पार्टी से कोई और मुख्यमंत्री बनेगा।
केजरीवाल के इस्तीफे के मायने
दिल्ली शराब नीति केस में अरविंद केजरीवाल 177 दिन बाद जेल से जमानत पर बाहर आए। सुप्रीम कोर्ट ने शर्त रखी कि वो CM ऑफिस नहीं जाएंगे और ना ही किसी फाइल पर साइन करेंगे। यानी जेल से बाहर आने और मुख्यमंत्री रहते हुए भी उनके पास पावर नहीं रही है। सरकार कैबिनेट भरोसे चलेगी।
साथ ही दिल्ली विधानसभा का कार्यकाल फरवरी 2025 में खत्म हो रहा है। यानी सरकार के पास चुनाव में सिर्फ 5 महीने ही बचे हैं। इस दौरान सरकारें लोकलुभावन चुनावी फैसले लेती हैं। केजरीवाल कोर्ट की शर्तों में बंधे हैं। जेल से छूटने के बाद केजरीवाल के साथ सहानुभूति है। दो-तीन महीने पहले दिल्ली में चुनाव की मांग कर केजरीवाल इस सहानुभूति को भुनाना चाहेंगे।