उत्तराखंड शिक्षा विभाग में तबादला एक्ट के तहत तबादलों की प्रक्रिया चल रही है। देहरादून को छोड़कर सभी जिलों में तबादलों के लिए जारी पात्रता सूची में सभी पात्र शिक्षकों के नाम सूची में रखे गए हैं। देहरादून जिले की सूची से 700 से अधिक पात्र शिक्षकों के नाम गायब हैं। जबकि, एक्ट के तहत दुर्गम में तीन साल और सुगम में चार साल की सेवा कर चुके शिक्षक तबादलों के लिए पात्र हैं। जिले की ओर से दुर्गम या सुगम में 10 साल ठहराव वाले शिक्षकों के नाम शामिल किए गए हैं।
तबादला एक्ट के मुताबिक ऐसे कार्मिक जो सुगम क्षेत्र में वर्तमान तैनाती स्थल पर चार साल या उससे अधिक अवधि से तैनात हैं उनका दुर्गम क्षेत्र में उपलब्ध और धारा 10 के अधीन संभावित रिक्तियों की कुल संख्या की सीमा के प्रतिबंधों के अधीन अनिवार्य रूप से तबादला किया जाएगा। जबकि, दुर्गम से सुगम क्षेत्र में तबादले के लिए दुर्गम क्षेत्र में वर्तमान तैनाती के स्थान पर तीन साल या उससे अधिक समय से तैनात कार्मिक का सुगम क्षेत्र में अनिवार्य तबादला किया जाएगा।
सुगम में चार और दुगम में तान साल तक कार्यरत सभी कर्मचारी और शिक्षक तबादलों के लिए पात्र हैं, परंतु देहरादून जिले के बेसिक और जूनियर हाईस्कूलों के शिक्षकों के तबादलों के लिए जो पात्रता सूची जारी की गई है, उसमें इन शिक्षकों के नाम नहीं हैं। शिक्षकों की ओर से इस मामले की सीईओ से भी शिकायत की गई है। सीईओ को लिखे पत्र में कहा गया है कि पिछले साल तबादलों के लिए पात्रता सूची में 716 शिक्षकों के नाम शामिल थे, लेकिन इस साल सुगम से दुर्गम के लिए 203 और दुर्गम से सुगम के लिए पात्रता सूची में मात्र 95 शिक्षकों के ही नाम शामिल हैं। इसका नुकसान यह है कि
जिले में 15 प्रतिशत शिक्षकों के तबादले होने हैं। पात्र शिक्षकों के पात्रता सूची में नाम शामिल न होने से इसका 15 प्रतिशत निकाले जाने पर कम शिक्षक तबादलों की जद में आएंगे। इससे कई पात्र शिक्षक तबादलों से वंचित रह जाएंगे। रुद्रप्रयाग, चमोली, पिथौरागढ़ सहित अन्य जिलों ने जिस तरह से पात्रता सूची जारी की है। उसी तरह सभी पात्र शिक्षकों को सूची में शामिल किया जाना चाहिए।
मुख्य शिक्षा अधिकारी, देहरादून, प्रदीप रावत का कहना है कि इस प्रकरण को गंभीरता से लिया जाएगा और जो भी होगा वह नियमों के अनुसार ही होगा।