रिपोर्ट – हरिश्चंद्र शर्मा
काशीपुर। ग्रामीण क्षेत्रों मे राजस्व उपनिरीक्षक, जिसे स्थानीय भाषा में ‘पटवारी’ और प्रशासनिक भाषा में लेखपाल भी कहा जाता है, अपनी मनमानियों एवं तानाशाही के लिए अक्सर सुर्खियों में रहता है। तानाशाही और मनमानी का कारण इनके द्वारा दी गई प्रथम जांच रिपोर्ट है। जिसके आधार पर यह है जनता द्वारा पैसे ना देने पर उनको चक्कर पर चक्कर लगवाते हैं।
सरकार के द्वारा तहसील कार्यालय के माध्यम से किसानों और आम आदमी की जरूरत के प्रमाण पत्रों जारी करने और सुलभ सुविधा उपलब्ध कराने हेतु स्थापना की गई, परंतु अधिकारियों और कर्मचारियों की मनमानी के चलते धामी सरकार की कार्यशैली का प्रश्न चिन्ह लगाने का जो प्रयास चल रहा है। वह कहीं न कहीं आम जनता के साथ खुलेआम खिलवाड़ है।
ऐसा ही एक प्रकरण काशीपुर तहसील का है। नीरज कुमार के द्वारा अपने बेटे अभय कौशिक का स्थाई प्रमाण पत्र के लिए आवेदन संख्या-UK24ES0100150196 दिनांक 20 मई 2024 को किया गया। पहली बार उसका आवेदन परिवार रजिस्टर की नकल पुरानी होने पर निरस्त कर दिया गया। जब दूसरी बार उसके द्वारा परिवार रजिस्टर की नई नकल लगाकर आवेदन संख्या-UK24ES0100180533 दिनांक 13 जून 2024 पर किया गया तो फिर दोबारा भी निरस्त कर दिया। जब उसके द्वारा यह जानकारी हासिल की गई कि उसका आवेदन क्यों निरस्त किया गया तो पता लगा कि उसमें कोई भी कारण नहीं था। मनमानी तानाशाही और भ्रष्टाचार के चलते आखिर उसके स्थाई प्रमाण पत्र के आवेदन को क्यों निरस्त किया गया। जब इस बात को लेकर वह सरताज लेखपाल के पास पहुंचा और उसने उनसे पूछा कि मेरा आवेदन क्यों निरस्त किया गया तो उनके पास कोई जवाब नहीं था। बार-बार तहसील के चक्कर लगाने पर लेखपाल के द्वारा उन्हें तीसरी बार आवेदन संख्या-UK24ES010020051दिनांक 1 जुलाई 2024 को करने को कहा। तब मुश्किल से तीन महीने बाद उनका स्थाई प्रमाण पत्र बन पाया। इतना ही नहीं इसके बाद उन्होंने अपने बेटे अभय कौशिक का आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग हेतु आए और संपत्ति का प्रमाण पत्र(ईडब्ल्यूएस) प्रमाण पत्र के लिए आवेदन संख्या-UK24RD1000027635 दिनांक 18 जुलाई 2024 को किया। सारे कागजात सही होने पर भी लेखपाल (राजस्व उप निरीक्षक, पटवारी ) के द्वारा उसको निरस्त कर दिया गया। आखिर बार-बार प्रमाण पत्रों के आवेदन निरस्त करने का सीधा-सीधा मतलब तानाशाही और भ्रष्टाचार की ओर इशारा करता है। पिछले दिनों भ्रष्टाचार के संबंध में एक पटवारी को विजिलेंस के द्वारा रंगे हाथों पकड़ कर जेल भेजा गया। फिर भी पटवारियों को सीख नहीं मिल रही है। जब इस संदर्भ में जिलाधिकारी उधम सिंह नगर से बात की गई तो उन्होंने बताया कि इसकी शिकायत प्राप्त हुई है और हम लेखपाल के प्रति कार्रवाई करेंगे। अभय कौशिक के द्वारा मुख्य सचिव उत्तराखंड शासन सहित जिलाधिकारी उधम सिंह नगर को एक शिकायती पत्र भेजकर भेजा गया है। अगर जानकारों की माने तो कुछ कॉमन सर्विस सेंटर के द्वारा लेखपालों से अपने हिसाब से काम करवाया जा रहा है। यदि कोई सीधा आवेदन करता है तो बिना किसी कारण कि उसका आवेदन निरस्त कर दिया जाता है। पिछले दिनों 24 घंटे में 12 00 प्रमाण पत्रों को प्रमाण पत्रों पर लेखपालों के द्वारा अपनी आख्या घर बैठे लगाई गई। बिना किसी कारण के सैकड़ो प्रमाण पत्र बिना जांच किए बिन निरस्त भी किए गए। इस प्रकार के कार्यों से तहसील काशीपुर की कार्यप्रणाली पर भ्रष्टाचार का प्रश्न चिन्ह लग रहा है। सीधी सी बात कहें तो यह सब अधिकारियों के रिश्वत हड़पने के हथकंडे हैं।