उत्तराखंड के विश्व प्रसिद्ध चारधाम यात्रा में आने वाले श्रद्धालुओं को किसी तरह की दिक्कत ना हो, इसके लिए शासन से लेकर पुलिस-प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग तमाम इंतजाम करता है। फिर भी कई श्रद्धालुओं की तबीयत खराब होने के कारण मौत हो जाती है। इस साल 30 अप्रैल से शुरू हुई चारधाम यात्रा में अभी तक 37 लोगों की मौत हो चुकी है। इनमें सबसे अधिक मौतें केदारनाथ धाम में हुई हैं। ऐसे में हम यह जानने की कोशिश करेंगे कि आखिरकार इन मौत की बड़ी वजह क्या है?
सबसे पहले उत्तराखंड चारधाम और हेमकुंड साहिब के बारे में जानते है। केदारनाथ धाम समुद्र तल से करीब 3,584 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। वहीं बदरीनाथ धाम 3,133 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। गंगोत्री धाम उत्तराखंड के चारों धामों में ऊंचाई के मामले में तीसरे नंबर पर है। गंगोत्री धाम की ऊंचाई 3,415 मीटर है। यमुनोत्री धाम की ऊंचाई 3,291 मीटर है। जबकि हेमकुंड साहिब की ऊंचाई 4,329 मीटर है। देखा जाए तो हेमकुंड साहिब की ऊंचाई केदारनाथ से भी अधिक है। जबकि हेमकुंड साहिब में मृत्यु दर शून्य के बराबर है।
जबकि सबसे ज्यादा ऊंचाई पर स्थित है हेमकुंड साहिब ही है।
इसी तरह से भारत के अगर ऊंचाई वाले क्षेत्र की हम बात करें जहां पर सबसे अधिक लोग जाते हैं और रहते भी हैं, उनमें लेह लद्दाख शामिल है। लद्दाख की ऊंचाई 3,529 मीटर है। जबकि अरुणाचल प्रदेश और सिक्किम के दो क्षेत्र तवांग और ज़ुलुक भी 3000 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है, जहां पर सालाना पर्यटक जाते हैं। इसी तरह से हिमाचल का काज़ा भी 3,650 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। फिर भी यहां पर हृदय गति रुकने से इतने लोगों की जान शायद ही साल भर में जाती होगी।
इस साल के मौत के आंकड़े
सरकारी आंकड़े बताते हैं कि जितनी मौतें उत्तराखंड में चार धाम यात्रा के दौरान सड़क हादसों में होती हैं, उतनी ही मौतें चार धाम यात्रा के दौरान श्रद्धालुओं की हृदय गति रुकने या तबीयत खराब होने की वजह से भी जाती है। उत्तराखंड राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र के आंकड़ों पर अगर नजर डालें तो पता लगता है कि साल 2024 में भी 52 श्रद्धालुओं की जान गई थी, जिसमें सबसे अधिक मौत केदारनाथ में हुई थी। यहां पर 23 लोग यात्रा के दौरान अपनी जान गंवा बैठे थे। जबकि बदरीनाथ में 14, यमुनोत्री में 12 और गंगोत्री में तीन श्रद्धालुओं की मौत हुई थी।