अंसल ग्रीन वैली निवासी प्रवीन भारद्वाज ने एक चौंकाने वाला खुलासा किया है। प्रेस क्लब में आयोजित पत्रकार वार्ता में प्रवीण भारद्वाज ने अंसल ग्रीन वैली निवासी राजकुमार नाम के व्यक्ति पर फर्जी स्थाई निवास प्रमाण पत्र बनवाकर खुद को उत्तराखंड का निवासी दर्शाते हुए नौकरी पाने और जमीन कब्जाने का आरोप लगाया है।
प्रवीण ने आरोप लगाया है कि राजकुमार जो कि, बरेली निवासी है, दो वर्ष पूर्व 2022 में देहरादून आया था। इसके बाद से इसने लगातार फर्जी दस्तावेजों के आधार पर फर्जी स्थाई निवास प्रमाण पत्र प्राप्त कर पुलिस चौकी जाखन में कुक की नौकरी पाई, साथ ही आरोप लगाया कि इसने अंसल ग्रीन वैली की लगभग साढ़े 3 बीघा भूमि पर कब्जा किया हुआ है।
वर्ष 2002 में चुकाई जीएसटी
देशभर में वर्ष 2017 से जीएसटी (वस्तु एवं सेवा कर) व्यवस्था लागू की गई है। राजकुमार ने स्थाई निवास प्रमाण पत्र बनवाने के लिए बिजली, पानी की रसीदें और आधार कार्ड जमा करवाया था। बिजली का बिल उत्तरांचल पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड, अनारवाला से दिनांक 28 जुलाई 2002 को जारी भुगतान रसीद दर्शाई गई है। इसमें जीएसटी नंबर यूपीसीएल 05 AaaCl16007g1zp दर्शाया गया है। इस रसीद में 1200 रूपए सिक्योरिटी के रूप में जमा होना और 600 रूपए सर्विस लाइन चार्ज को जोड़कर कुल 1800 रुपए विभाग को भुगतान किया जाना बताया गया है।
अब ऐसे में स्थाई प्रमाण पत्र फर्जी होने का पहला सबूत यह है कि जब देशभर में वर्ष 2017 से जीएसटी व्यवस्था लागू की गई तो ऐसे में यूपीसीएल वर्ष 2002 में जीएसटी कैसे काट सकता है! उत्तराखंड में फर्जी प्रमाण पत्रों के जारी होने का खेल लंबे समय से चल रहा है। ‘यूके डिटेल्स’ के पास अब तक दो दर्जन से अधिक फर्जी स्थाई निवास प्रमाण पत्रों की प्रतिलिपि उपलब्ध है।
अंसल ग्रीन वैली में जमीन कब्जाए बैठे भू-माफिया राजकुमार ने स्थाई निवास प्रमाण पत्र बनवाने के लिए वर्ष 2001-02 में बिजली का कनेक्शन स्वयं के नाम पर होना दर्शाया है। इन्हीं दस्तावेजों के साथ राजकुमार ने अपना आधार कार्ड भी प्रस्तुत किया है, जिसमें उनकी जन्म तिथि 1 जनवरी 1992 की है। अब आधार कार्ड के अनुसार वर्ष 2001-2 में राजकुमार की उम्र 9 वर्ष की थी, इस दशा में एक नाबालिक के नाम बिजली-पानी का कनेक्शन जारी होना एक मजाक लगता है। जब सत्यापन हेतु प्रवीण भारद्वाज द्वारा जल संस्थान के अधिशासी अभियंता आशीष भट्ट से संपर्क कर रसीद की पुष्टि की गई, तो अधिशासी अभियंता द्वारा यह बताया गया कि यह रसीद उनके कार्यालय से जारी ही नहीं हुई है, जिसको लेकर अधिशासी अभियंता ने डालनवाला थाने में इस विषय में शिकायत भी दर्ज कराई है। अब इस शिकायत को डालनवाला थाने द्वारा जाखन पुलिस चौकी को भेज दिया जाता है। जाखन पुलिस चौकी में ही आरोपी राजकुमार कुक के पद पर कार्यरत है। ऐसे में प्रतीत होता है कि पुलिस और एलआईयू विभाग द्वारा आरोपी राजकुमार के दस्तावेज जांचने में चूक हुई है या फिर कहानी कुछ और ही है! यह बड़ा सवाल है।
इन्हीं फर्जी दस्तावेजों के आधार पर 2 वर्ष पूर्व बरेली से उत्तराखंड आए राजकुमार का स्थाई प्रमाण पत्र बन जाता है। इससे भी बड़ी चौंकाने वाली बात यह है की फर्जी स्थाई निवास प्रमाण पत्र के आधार पर यह पुलिस चौकी जाखन में कुक के पद पर भी कार्यरत हो जाता है। ऐसे में सवाल उठते हैं कि अन्य बाहरी व्यक्तियों का सत्यापन करने वाले पुलिस विभाग के भीतर ही फर्जी स्थाई निवास प्रमाण पत्र के आधार पर कैसे बरेली निवासी व्यक्ति को खानसामा की नौकरी दे दी गई?
प्रवीण भारद्वाज के अनुसार राजकुमार नौकरी पाने के साथ ही अंसल ग्रीन वैली के भीतर स्मृति वन पार्क की लगभग साढ़े 3 बीघा भूमि, जिसकी कीमत 20 से 25 करोड़ रुपए बताई जा रही है, पर अवैध प्लाटिंग कर कब्जा जमाए बैठा है। इसके साथ ही उन्होंने दो पार्षदों की शह पर यह करोड़ों की भूमि कब्जाने का आरोप लगाया है।
बहरहाल शिकायतकर्ता प्रवीण भारद्वाज द्वारा इन फर्जी प्रमाण पत्रों को बनवाने वाले मास्टरमाइंड संजय नौटियाल और भूपेंद्र कठैत के नाम का खुलासा किया है।
अब देखने वाली बात होगी कि आए दिन फर्जी स्थाई निवास प्रमाण पत्र की सहायता से स्थानीय बेरोजगारों के हितों पर डाका डालने वाले इन डकैतों और भूमाफियाओं पर जीरो टॉलरेंस वाली धामी सरकार क्या कार्रवाई करती है?