राजधानी देहरादून में कृषि विभाग में प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के अंतर्गत करोड़ रुपए का घोटाला सामने आया है। विभागीय अधिकारियों और संबंधित संस्था की मिलीभगत ने बिना किसी आवेदक के फर्जी तरीके से सारी कागजी प्रक्रिया को पूरा करने के उपरांत 200 अधिक किसानों को इस योजना का लाभ दिया जाना दर्शाकर करोड रुपए हजम कर लिए और जब मामले का खुलासा होने लगा तो उन्होंने सामान को लाभार्थियों के घरों के सामने फिंकवा कर उसे छिपाने का प्रयास किया। कृषि मंत्री गणेश जोशी ने करोड़ के इस घोटाले के बारे में कहा कि इसकी जांच कराई जाएगी और किसी भी आरोपी को बक्शा नहीं जाएगा। यहां यह बताते चलें कि किसानों की आय दोगुना करने के लिए प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना लाई गई थी। जिसके तहत किसानों को सब्सिडी दी जाती है। यह योजना उन क्षेत्रों में किसानों के लिए लाभकारी है जहां सिंचाई के लिए पर्याप्त पानी की कमी होती है। इस योजना के तहत लिए किसानों को प्लास्टिक के पाइप खेतों में बिछाने के लिए दिया जाता है ताकि किसान फुहारा पद्धति से फसलों को पानी दे सके,जिसमें कम पानी की जरूरत होती है। इस बात का खुलासा तब हुआ जब रायपुर ब्लॉक के गांव सिल्ला शेरा के कुछ किसान इस योजना की जानकारी और लाभ लेने के लिए ब्लॉक पहुंचे तो उन्हें पता चला कि उन्हें तो इस योजना का लाभ पहले ही दिया जा चुका है। यह जानकार किसान भौंचक्के रह गए कि जब उन्होंने आवेदन तक नहीं किया तो फिर यह कैसे हो गया। जब अधिक जानकारी निकाली गई तो गांव के 35-40 किसान इस योजना के लाभार्थी निकले, जबकि धरातल पर किसी को इसका लाभ मिला ही नहीं। किसानों को जब यह चिंता हुई कि कहीं उनसे इसकी रिकवरी न किए जाने लगे तब उन्होंने इसकी शिकायत कृषि विभाग के आला अधिकारियों से की। जिसके बाद कृषि विभाग में हड़कंप मच गया।
मामले का खुलासा होता देख कृषि विभाग के भ्रष्टाचारी
अफसरों ने गांव में रातों-रात प्लास्टिक के पाइप और अन्य संयंत्र लोगों के घरों के सामने फिंकवा दिए गए। ग्रामीणों का तो यहां तक कहना है कि जो योजना के लाभार्थी है उनमें से कुछ लोग पहले ही मर चुके हैं। इतना ही नहीं एक महिला के नाम से योजना का लाभ दिखाया गया जो अनपढ़ है और जिसे हस्ताक्षर करने नहीं आते। आवेदन फार्म पर उसके भी हस्ताक्षर कर दिए गए। भले ही मामला अभी एक ब्लॉक और एक गांव में सामने आया हो लेकिन यह योजना कई जिलों और ब्लॉक में होने की बात कही जा रही है, घोटाले को 2022-23 में अंजाम दिया गया है।
बताया जा रहा है कि इस मामले का खुलासा एक आरटीआई के माध्यम से हुआ है। कृषि संरक्षण अधिकारी और इस योजना से संबंधित कंपनी ने आवेदक का सत्यापन किए बिना ही किसानों को योजना का फर्जी लाभार्थी दर्शाकर करोड रुपए का फर्जीवाड़ा किया। इस मामले में एक और बात यह है कि इस योजना का पैसा लाभार्थियों को नगद उसके बैंक खाते में ट्रांसफर नहीं किया जाता विभाग अनुबंध कंपनी द्वारा काम किए जाने पर कंपनी को पैसा कृषि विभाग द्वारा भुगतान किया जाता है जो यह दर्शाता है कि यह फर्जीवाड़ा दोनों की मिली भगत से ही हुआ है। चर्चा यह भी है कि राज्य के अन्य जिलों व ब्लाकों में भी इस योजना में बड़ा फर्जी वाड़ा हुआ है जो जांच में ही पता चलेगा।
कृषि मंत्री गणेश जोशी का कहना है कि भ्रष्टाचारी चाहे कोई भी हो और कितना भी बड़ा क्यों न हो बक्शा नहीं जाएगा।यहां पुष्कर सिंह धामी की सरकार है जिसकी भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस की नीति है। कृषि मंत्री ने इस मामले की जांच के आदेश दे दिए हैं। जो भी दोषी होगा उसे बक्शा नहीं जाएगा। हैरानी वाली बात यह है कि रायपुर ब्लॉक का गांव सिल्ला शेरा उनके ही चुनाव क्षेत्र में आता है। भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस वाली सरकार के समय में जिस तरह से भ्रष्टाचार के एक के बाद एक मामले सामने आ रहे हैं वह भाजपा के भ्रष्टाचार पर प्रहार के दावों की भी कलई खोलते हैं।