आजादी का अमृत महोत्सव के तहत 75 साल से अधिक उम्र के 84 कलाकारों को संगीत नाटक अकादमी अमृत पुरस्कार से सम्मानित किया गया है।केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय के अधीन संगीत नाटक अकादमी की ओर से पहली बार इन दिग्गज कलाकारों को किसी राष्ट्रीय सम्मान से नवाजा गया है। इसी कड़ी में उत्तराखंड की संस्कृति को संजोकर रखनेवाले चार कलाकारों को भी यह पुरस्कार देकर सम्मानित किया गया है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार विज्ञान भवन में आयोजित समारोह में उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कलाकारों को सम्मानित किया। इस दौरान उपराष्ट्रपति ने अधिक उम्र के कलाकारों को मंच से उतरकर उनकी सीट पर जाकर सम्मानित किया। सम्मानित कलाकारों में उत्तराखंड के चार कलाकारों को किया सम्मानित
- भैरव दत्त तिवारी (79)
- जगदीश ढौंडियाल (78)
- नारायण सिंह बिष्ट (75) को
- जुगल किशार पेटशाली (76)
- अवार्ड के रूप में कलाकारों को ताम्रपत्र, अंगवस्त्रम के अलावा एक लाख रुपये की नकद राशि दी गई।
यहां यह भी बताते चलें कि
- जुगल किशोर पटशाला अल्माड़ा जिले के निवासी है। उन्होंने राजुला – मालुसाही, मध्य हिमालय की अमर प्रेम गाथा और जय बाला मोरिया आदि पुस्तकें लिखीं हैं।
- नारायण सिंह बिष्ट चमोली जिले के निवासी हैं। उन्होंने उत्तराखंड की जागर परंपरा को आगे बढ़ाया है।
- जगदीश ढौंढियाल पौड़ी जिले के निवासी हैं जिन्होंने नृत्य नाटिका कामायनी की लगभग 2500 अधिक प्रस्तुतियां दीं हैं।
- भैरव दत्त तिवारी अल्मोड़ा के निवासी हैं उन्होंने कुमाऊंनी लोक परंपरा में महत्वपूर्ण योगदान देने के अलावा दूरदर्शन के लिए रसिक रमोला और हारु हीत नाटकों की प्रस्तुति तैयार कीं हैं।
इस समारोह में 70 पुरुष और 14 महिला उत्कृष्ट कलाकारों को सम्मानित किया गया। इनमें सबसे बुजुर्ग मणिपुर के 101 वर्ष के युमनाम जात्रा सिंह हैं। पुरस्कार सूची में 90 वर्ष से अधिक आयु के 13 और 80 साल से अधिक के 38 कलाकार रहे। जबकि दो महिला कलाकारों गौरी कुप्पुस्वामी और महाभाष्यम चित्तरंजन को मरणोपरांत यह पुरस्कार दिया गया है।