उत्तराखंड में 6 साल बाद भी फर्जी शिक्षकों की जांच अधूरी पड़ी है। अब तक कुल 9602 शिक्षकों के खिलाफ फर्जी प्रमाणपत्र जमा करने की शिकायतें मिल चुकी हैं। 62,523 प्रमाण पत्रों में से अभी तक मात्र 40,029 प्रमाण पत्र ही सत्यापित हो पाए हैं।
आखिर उत्तराखंड किस तरीके से आगे बढ़ेगा जब फर्जी शिक्षकों की एक जांच ही पूरी नहीं हो पा रही है।
उत्तराखंड के कई जिलों में फ़र्ज़ी दस्तावेजों के आधार पर नौकरी पाने वाले शिक्षकों के खिलाफ करवाई की जा रही है। 88 के विरुद्ध मुकदमा भी दर्ज हुआ है,सबसे अधिक मुकदमे हरिद्वार, देहरादून उधमसिंह नगर और रुद्रप्रयाग जिले मे दर्ज है ।
2012 से वर्ष 2016 के बीच शिक्षकों की भर्ती हुई थी | और 2016 मे यह शिकायत मिली की कुछ शिक्षकों ने नौकरी पाने के लिए फ़र्ज़ी प्रमाण पत्र जमा किये है | 2017 में एसपी लोकजीत सिंह के नेत्तव मे सीबीसीआईडी ने जाच के लिए एसआईटी गठित की है।
लेकिन जांच पूरी ना होने पर एसआईटी का कहना है कि शिक्षण संस्थान जांच में सहयोग नहीं कर रहे शिक्षण संस्थानों को कई बार सत्यापन के लिए कहने के बावजूद भी कोई जवाब नहीं मिल रहा है।
इनमे से कुछ शिक्षक बाहरी राज्यो से है तो इसी कारण उनके प्रमाण पत्र मंगवाने मे समय भी लग रहा है ।