देहरादून के चाय बागान और सीलिंग की जमीन के मामले में भूमाफिया और अफसरों की सांठगांठ का खुलासा होने के बाद शासन ने इस मामले की जांच के लिए एसआईटी को भूमि रिकॉर्ड में हुई हेरा फेरी की जांच के आदेश दिये हैं। हजारों करोड़ रुपये के इस खेल को उजागर करने वाले आरटीआई एक्टिविस्ट एडवोकेट विकेश नेगी का कहना है कि यह जमीन सरकार की है। जमीन के खुर्द-बुर्द होने से सरकार को करोड़ों के राजस्व की हानि हुई है। नेगी का कहना है कि इस घोटाले के तार यूपी, दिल्ली और हरियाणा से भी जुड़े हुए हैं इसलिए एसआईटी जांच की बजाए यह मामला सीबीआई को दिया सौंप दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि यदि जरूरत हुई तो वह इस मामले को लेकर हाईकोर्ट में जनहित याचिका भी दाखिल करेंगे।
आरटीआई एक्टिविस्ट एडवोकेट विकेश नेगी ने पिछले साल हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की थी कि देहरादून के चाय बागानों की जमीन की अवैध तरीके से खरीद-फरोख्त चल रही है जो कि गैरकानूनी है, क्योंकि इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट का आदेश है कि 10 अक्टूबर 1975 के बाद चाय बागान की जमीन की खरीद-फरोख्त नहीं की जा सकती है। यदि ऐसा होता है तो यह जमीन स्वतः ही सरकार की हो जाएगी। एडवोकेट नेगी के अनुसार रायपुर, रायचकपुर, लाडपुर और नत्थनपुर समेत जिले में चाय बागान की सीलिंग की जमीन को खुर्द-बुर्द किया जा रहा है। इस मामले में देहरादून अपर जिलाधिकारी की कोर्ट में भी सुनवाई चल रही है।
इस मामले को लेकर जिला प्रशासन भी लचर रवैया अपनाए हुए था। लेकिन अब सरकार ने इस मामले को गंभीरता से लिया है और 1978 से 1990 के भू रिकार्ड के साथ छेड़छाड़ की बात को स्वीकार किया है। कई बैनामों के पेपर बीच में से फाड़ दिये गये हैं। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस मामले की जांच के आदेश एसआईटी को दिये हैं। कोतवाली पुलिस में केस दर्ज किया गया है। इस मामले में नौ सब रजिस्ट्रार और 28 लिपिक जांच के घेरे में हैं।
इस मामले में हाईकोर्ट की सख्ती के बाद जिला प्रशासन हरकत में आया है। उच्च न्यायालय नैनीताल ने इस मामले में दाखिल जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए सरकार द्वारा समय पर हलफनामा दाखिल ना किए जाने पर नाराजगी जताते हुए सरकार पर ₹20000 का जुर्माना लगाया था तथा जुर्माने की रकम को कोताही बरतने वाले अधिकारी से वसूलने के आदेश दिए गए हैं।
दायर की गई जनहित याचिका में एडवोकेट विकेश नेगी ने कहा कि चाय बागान की सीलिंग की जमीन सरकार की है, लेकिन कुछ अफसरों और भूमाफिया की मिलीभगत से इस भूमि की अवैध खरीद-फरोख्त हो रही है। इस मामले की सुनवाई हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस विपिन सांघवी और जस्टिस राकेश थपलियाल की बेंच कर रही है।
अधिवक्ता और आरटीआई एक्टिविस्ट विकेश नेगी का कहना है कि यदि विंडलास की भूमि घोटाले का एक छोटा सा मामला सीबीआई को सौंपा जा सकता है तो चाय बागान की चार हजार बीघा और सीलिंग की तीन हजार बीघा जमीन जो कि करोड़ों की है, उसकी जांच एसआईटी की बजाए सीबीआई द्वारा ही होनी चाहिए। उनके अनुसार इस मामले में निबंधन और राजस्व विभाग के अफसरों की मिलीभगत है और इसके तार पूरे उत्तर भारत में फैले हुए हैं। नेगी का कहना है कि एसआईटी बाहर के प्रदेशों में मामले की जांच नहीं कर सकती है।इसलिए यह जांच सीबीआई को देनी चाहिए। विकेश नेगी ने कहा देहरादून नगर निगम से जुड़े भूमि प्रकरण, भू रिकार्ड व रजिस्ट्रीयों की जांच भी सरकार को करानी चाहिए। यहां भी जमीनों के गड़बड़झाले से जुड़े कई बड़े खुलासे होंगे। विकेश नेगी ने बताया कि कुछ समय पहले नगर निगम में जमीनों से संबधित रिकार्ड चोरी हुआ था। जिसको लेकर शहर कोतवाली में मुकदमा भी दर्ज किया गया था। लेकिन कार्रवाई के नाम पर इस पूरे मामले में कुछ नहीं हुआ है। एडवोकेट नेगी का कहना है कि भू माफिया नेताओं और अफसोस मिलकर ही जमीनों के खरीद फरोख्त को अंजाम देते हैं। उन्होंने कहा कि यदि सरकार इस मामले पर उचित तरीके से कार्रवाई नहीं करती है तो वह हाई कोर्ट में इस मामले को लेकर जनहित याचिका डालेंगे।