नैनीताल। हाईकोर्ट ने त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में आरक्षण रोस्टर निर्धारण के खिलाफ दायर विभिन्न याचिकाओं की आज की। सुनवाई करते हुए अगली सुनवाई की तिथि कल यानि कि गुरुवार को भी जारी रखी।
बुधवार को मुख्य न्यायधीश जी नरेंद्र व न्यायमूर्ति आलोक मेहरा की खण्डपीठ में दोपहर बाद करीब दो घण्टे से अधिक समय तक बहस हुई । जिसमें सरकार की ओर से महाधिवक्ता ने सरकार का पक्ष रखते हुए बताया कि पिछड़ा वर्ग समर्पित आयोग की रिपोर्ट के बाद आरक्षण रोस्टर को शून्य घोषित करना एकमात्र विकल्प था । 9 जून जारी यह रूल्स 14 जून को गजट नोटिफाई हो गया था।
जबकि याचिकाकर्ताओं ने उत्तराखंड पंचायत राज अधिनियम व संविधान के अनुच्छेद 243 टी व अन्य का उल्लेख करते हुए कहा कि आरक्षण में रोस्टर अनिवार्य है। यह संवैधानिक बाध्यता है।
इस मामले में सरकार की ओर से यह भी तर्क रखा गया कि कुछ याचिकाकर्ताओं के कारण सम्पूर्ण चुनाव प्रक्रिया को नहीं रोका जा सकता। हाईकोर्ट ने सरकार से पूछा कि कितनी सीटों में आरक्षण रोस्टर की पुनरावृत्ति हुई है। क्या यह पंचायत राज एक्ट व संविधान के अनुच्छेद 243 टी का उल्लंघन नहीं है।
सभी पक्षों की सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने इन याचिकाओं की सुनवाई कल यानि कि गुरुवार को भी जारी रखी है।