निबंधक सहकारी समिति, आलोक कुमार पांडे द्वारा 29 मार्च 2022 में दिए गए निर्देशों के क्रम में जिला सहकारी बैंकों में चतुर्थ श्रेणी के पदों पर की जा रही भर्तियों पर तत्काल प्रभाव से रोक लगाने के आदेश दिए हैं।
उन्होंने यह भी निर्देशित किया कि जिला सहकारी बैंक लि० टेहरादून में सहयोगी / गार्ड (वर्ग 04) की भर्ती प्रक्रिया में अग्रिम आदेशों तक किसी भी कार्मिक को कार्यभारी ग्रहण न कराया जाये । तद्नुसार यथा स्थिति बनायी रखी जाये । यह आदेश तत्काल प्रभाव से लागू होगा। यह भी बता दें कि संविदा / आउटसोर्स कर्मियों बिना नोटिस दिये 09.122022 को जिला सहकारी बैंक लि0 देहरादून की शाखाओं से 45 कर्मचारियों को बाहर कर दिया गया। निबन्धक महोदय के कार्यालय कक्ष में हुई वार्ता में कहा गया कि सहयोगी / गार्ड के पदों पर कोई भी रिक्त पद नहीं है और न ही स्वीकृत किया जायेगा। जिला सहकारी बैंक लि0 देहरादुन ने फिर से आउटसोर्स के माध्यम से 06 पद स्वीकृत करवाने के बाद बैक डोर से एट्री देने का काम किया जा रहा है । जिससे कि इसमे निबन्धक महोदय की संलिप्तता प्रतीत होती है । खेद का विषय है कि जब तक शासन के द्वारा जांच रिर्पोट से स्पष्ट नहीं हो जाता है कि सहयोगी /गार्ड (वर्ग 04) की भर्ती नियम तहत हुई है कि नहीं और उसमें भृष्टाचार हुआ है या नहीं तब तक किसी भी माध्यम से भर्ती कैसे सम्भव हो सकती है । माननीय उच्च न्यायालय के 22-12-2022 निर्देश में रिट याचिका का निस्तारण किया जाता है यदि याचिकाकर्ता आज से दो सप्ताह के भीतर अभ्यावेदन प्रस्तुत करते हैं तो उस पर सक्षम प्राधिकारी द्वारा निर्णय लिया जायेगा । उसके बाद छह सप्ताह के भीतर याचिकाकर्ता अपनी शिकायत कर सकते हैं । याचिकाकर्ता को छह सप्ताह के बाद सचिव सहकारिता के द्वारा बुलाया गया और उनका कहना था कि अभी कार्मिक विभाग की राय ली जा रही है। कार्मिक विभाग की राय के बाद याचिकाकर्ताओं को कार्यवाही से अवगत कराया जायेगा। उसके बाद भी याचिकाकर्ताओं को किसी भी कार्यवाही से अवगत नहीं कराया गया है, जो कि माननीय उच्च न्यायालय के निर्देशों की अवहेलना है। उसके बाद याचिकाकर्ताओं ने फिर से रिट याचिका दायर की गयी माननीय उच्च न्यायालय के 06.04.2023 निर्देश के साथ इस अपील का निस्तारण करते हैं कि तीन महीने के भीतर भर्ती प्रक्रिया की जांच में तेजी लाई जाए । एक बार जांच रिपोर्ट पूरी हो जाने के अपीलकर्ताओं के साथ साझा की जानी चाहिए । जबकि जांच पूरी हो चुकी है उसके बाद भी सचिव सहकारिता ने कोई भी कार्यवाही नहीं की है । जांच रिपोर्ट को सचिव सहकारिता के द्वारा दबाया जाना यह दर्शाता है कि भ्रष्टाचार में संलिप्त जवाबदेही अधिकारियों को बचाया जा रहा है।