चार दिन पहले यमुनोत्री हाइवे पर धरासू के पास सिलक्यारा में निर्माणाधीन सुरंग का एक हिस्सा ढह गया था। जिससे सुरंग में 40 श्रमिक सुरंग के अंदर ही फंस गए। जिनकी जान बचाने के लिए चार दिनों से राहत और बचाए कार्य किए जा रहे हैं, लेकिन अभी तक सफलता नहीं मिल पाई है। जिसके कारण उन चालीस जिंदगियों पर अब संकट और भी अधिक बढ़ गया है। कर्मचारियों के परिजन और सुरंग में फंसे हुए लोगों का धैर्य भी अब जवाब देने लगा है उन्होंने कल कंपनी के प्रबंधकों और सरकार के खिलाफ जमकर हंगामा करते हुए नारेबाजी की, जिसके कारण उनकी पुलिस और सुरक्षा कर्मियों से नोकझोंक व तीखी झड़प भी हुई।
कर्मचारी और परिजनों ने आरोप लगाते हुए कहा कि चार दिनों से सुरंग में फंसे लोगों को बाहर निकलने का पूरा ड्रामा चल रहा है हम तो हासिल कुछ भी नहीं हो रहा है रिजल्ट शून्य का शून्य ही है। सोच का विषय है कि ऐसे इन हालातो में सुरंग के अंदर फंसे लोग कब तक जिंदा रह सकेंगे। प्राप्त जानकारी के अनुसार
स्थितियों में बदलाव उस समय आया जब मंगलवार की रात को आगर मशीन ने भी मलवा आने के कारण खराब हो गई और उसने काम करना बंद कर दिया। कल दिनभर चले अथक प्रयासों से किसी तरह हयूम पाइपों की ड्रिलिंग का काम देर रात शुरू तो हुआ लेकिन काम शुरू होते ही पहाड़ से सुरंग में और मलवा आने से आगर मशीन भी उसकी चपेट में आ गई जिसके कारण काम रुक गया और मशीन खराब होने से प्लान चौपट हो गया।
सबसे महत्वपूर्ण बात तो यह है कि कंपनी प्रबंधन और रेस्क्यू में लगी टीमों ने इस सच को छिपाने की कोशिश की लेकिन कल सुबह जब इसकी जानकारी मौके पर मौजूद पीड़ित परिवार वालों और कर्मचारियों को हुई तो वो गुस्से से फूट गये और कंपनी प्रबंधन व सरकार के खिलाफ जमकर हंगामा किया तथा सुरक्षा के लिए बनाई गई बैरिकेटिंग को तोड़ दिया गया। उन्होंने दलील दी कि हादसे के 4 दिन बाद भी सुरंग में फंसे लोगों को बचाने के नाम पर सिर्फ नौटंकी की जा रही है। उन्होंने कहा कि जो अंदर फंसे हुए हैं यदि उनको जल्द से जल्द बाहर नहीं निकाला गया तो कोई भी जिंदा नहीं बचेगा। का कहना है कि पहले 2 दिन का समय मलवा हटाने में लगा दिया और अब 24 घंटे हयूम पाइप ड्रीलिंग के प्रयास में निकाल दिए। लेकिन
नतीजा सिफर ही रहा। उन्होंने तो यहां तक भी कहा कि बचाव व राहत काम में लगी टीमों के बीच कोई तालमेल का अभाव है। मौके पर कोई जिम्मेदार अधिकारी भी मौजूद नहीं है, जो यह बता सके कि अब तक की सही प्रोग्रेस क्या है। पीड़ितों को ना कोई जानकारी दी जा रही है और ना ही सरकार और कंपनी का कोई भी आधिकारिक जवाब मिल पा रहा है। यहां यह बताते चलें कि 12 नवंबर की सुबह हुए इस हादसें को बीते 80 घंटे का समय हो गया है, जिससे सुरंग में फंसे 40 लोगों का जीवन संकट में है। यह संकट हर पल बढ़ता ही जा रहा है। बचाव राहत का प्लान ए और बी फ्लॉप हो चुका है। अब सी प्लान क्या है न तो इसकी कोई जानकारी है और न इस बात की प्लान सी पर क्या काम हो रहा है। फिलहाल बचाव राहत काम रुका हुआ है। जिसको लेकर कर्मचारी व पीड़ितों के परिजनों का नाराज होना भी जायज है। विचारणीय प्रश्न यह है कि अब क्या इन 40 जिंदगियों को यूं ही मरने के लिए राम भरोसे छोड़ दिया गया है। इसका जवाब कंपनी प्रबंधकों व सत्ता में बैठे लोगों को ही देना पड़ेगा।