होटल हयात तक बनाई गई सड़क को लेकर न सिर्फ विवाद की स्थिति पैदा हो गई है, बल्कि व्यवस्था पर भी सवालिया निशान खड़े हो रहे हैं। इस सड़क का निर्माण लोक निर्माण विभाग प्रांतीय खंड ने किया था,तथा जमीन नगर निगम की बताई जा रही है। लिहाजा इसके लिए नगर निगम के साथ एमओयू किया गया होगा। जब इसकी सूचना नगर निगम से मांगी गई तो एमओयू नगर निगम कार्यालय में ढूंढने से भी नहीं मिल पाया है।दूसरी तरफ एमओयू की प्रति लोक निर्माण विभाग के पास उपलब्ध है। लेकिन निगम के अधिकारी इसकी सत्यता पर ही सवालिया निशान उठा रहे हैं। मामले के सूचना आयोग पहुंचने पर राज्य सूचना आयुक्त योगेश भट्ट ने प्रांतीय खंड लोक निर्माण विभाग के पूर्व व वर्तमान अधिशासी अभियंता को अगली सुनवाई में व्यक्तिगत रूप से उपस्थित रहने को कहा।
सूचना के अधिकार में ग्राम दानियों का डंडा निवासी सुल्तान सिंह ने नगर निगम से होटल तक सड़क निर्माण को लेकर एमओयू सहित विभिन्न बिंदुओं पर सूचना मांगी थी। उनका मानना था कि सड़क का निर्माण ग्राम वासियों की जमीनों पर किया गया है। सूचना आवेदन पत्र में यह भी जानना चाहा की खसरा नंबर 84 डंडा राजपुर जिस पर सड़क का निर्माण किया जा रहा है वह नगर निगम के स्वामित्व की है या नहीं। जिसके जवाब में नगर निगम ने किसी भी तरह के एमओयू से इनकार किया है। जबकि यही सूचना जब लोग निर्माण विभाग से मांगी गई तो उनके द्वारा एमओयू उपलब्ध कराया गया है। खास बात यह है कि इस एमओयू पर नगर निगम के तत्कालीन अधिशासी अभियंता अनुपम भटनागर के हस्ताक्षर भी पाए गए हैं। सूचनाओं को भ्रामक बताते हुए सुल्तान सिंह ने सूचना आयोग में इसकी अपील की थी, जिसकी सुनवाई के दौरान पाया गया कि नगर निगम के अधिशासी अभियंता अनुपम भट्टाचार्य भटनागर जिनके हस्ताक्षर एमओयू पर पाए गए थे,अपने मूल विभाग ग्रामीण निर्माण विभाग में अधीक्षण अभियंता पद पर सेवाएं दे रहे हैं।
वर्तमान अधिशासी अभियंता जयप्रकाश रतूड़ी द्वारा बताया गया कि एमओयू का अधिकार सिर्फ नगर आयोग के पास है इस बारे में आयोग ने जब तत्कालीन अधिशासी अभियंता अनुपम भट्टाचार्य का जवाब क्लब किया तो उनके द्वारा बताया गया कि हस्ताक्षर उनके प्रतीत होते हैं लेकिन उन्होंने इसे कूट रचना करार दिया है।
जवाब में नगर निगम द्वारा कहा गया कि एम ओ यू पर मार्ग के पक्की कारण और शहरीकरण का जो काम किया जा रहा है वह भूमि नगर निगम की नहीं है इसके साथ ही एमओयू को निरस्त करने योग्य माना जाना चाहिए। राज्य सूचना आयुक्त योगेश भट्ट ने कहा कि नगर निगम की आख्या के आधार पर तत्कालीन अधिशासी अभियंता अनुपम भटनागर की भूमिका संदिग्ध दिखाई दे रही है। प्रकरण की गंभीरता को देखते हुए सूचना आयुक्त ने लोक सूचना अधिकारी लोक निर्माण विभाग प्रांतीय खंड को पक्षकार बनाते हुए एमओयू की मूल पत्रावली के साथ आगामी सुनवाई में उपस्थित रहने के निर्देश दिए हैं। एमओयू की सत्यता की जांच हो सके के लिए लोक निर्माण विभाग के प्रांतीय खंड देहरादून के वर्तमान व तत्कालीन अधिशासी अभियंता को भी पक्षकार बनाते हुए अगली सुनवाई 12 दिसंबर को उपस्थित रहने को कहा गया है।