सीबीआई द्वारा हरिद्वार में करोड रुपए के पार्किंग घोटाले में सिंचाई विभाग के अभियंताओं और ठेकेदारों पर कार्यवाही करते हुए सिंचाई विभाग के अधीक्षण अभियंता आरके तिवारी, अधिशासी अभियंता एस एल कुड़ियाल, अधिशासी अभियंता अतर सिंह बिष्ट, उप राजस्व अधिकारी एन एस कुंडरा, ठेकेदार अजय कुमार,अरुण कुमार और व दो अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया है। प्राथमिकि रिपोर्ट में सीबीआई द्वारा अज्ञात आरोपियों को पब्लिक सर्वेंट के नाम से संबोधित किया है। उच्च न्यायालय के आदेश पर सीबीआई द्वारा यह कार्रवाई करते हुए आरोपियों के देहरादून, हरिद्वार के कार्यालयों, निवास स्थान व अन्य ठिकानों पर भी छापेमारी कर सबूत इकट्ठे की है। सीबीआई की इस कार्रवाई से घपले में जुड़े हुए बड़े अधिकारियों में हड़कंप मचा हुआ है। प्राप्त जानकारी के अनुसार पार्किंग घोटाले की आंच विभाग के कई उच्च अधिकारियों को भी शिकंजे में ले सकती है।
हरिद्वार में पंतद्वीप पार्किंग घोटाले का यह मामला दो सगे भाइयों (अजय कुमार व अरुण कुमार) की कंपनी रिद्धिम एसोसिएट्स को नियमों के विपरीत लाभ पहुंचाने से जुड़ा है। बताया जा रहा है कि, कोरोनाकाल में पार्किंग का जिम्मा संभाल रही कंपनी को सिर्फ उस समय तक के लिए एक्सटेंशन दिया गया था, जितने दिन पार्किंग बंद रही थी।जिसका अनुमोदन भी तत्कालीन अधिशासी अभियंता ने उच्च स्तर से प्राप्त किया था। हालांकि, इसके बाद अन्य अधिकारियों ने नए टेंडर कराने की जगह उसी ठेकेदार को एक्सटेंशन दे दिया। प्राप्त जानकारी के अनुसार कुछ समय बाद पार्किंग का क्षेत्रफल भी बढ़ाया गया और शुल्क में भी बढ़ोत्तरी की गई। ताकि कंपनी को अतिरिक्त लाभ मिल सके।
रिद्धिम एसोसिएट्स को मानकों को ताक पर रखकर दिए गए एक्सटेंशन के विरोध में अन्य ठेकेदार हाई कोर्ट चले गए थे। जिसके मद्देनजर हाई कोर्ट ने हरिद्वार की पंतद्वीप पार्किंग का टेंडर विस्तार दिए जाने के घपले की सीबीआई जांच के आदेश दिए थे। कोर्ट द्वारा विभाग की ओर से कोविडकाल में दिए गए ठेका विस्तार को गलत माना और सभी एक्सटेंशन निरस्त कर दिया गया था। हाई कोर्ट के आदेशानुसार सीबीआई ने मुकदमा दर्ज करने के साथ ही कार्रवाई भी शुरू कर दी है।
एफआईआर में जिन दो आरोपितों को अज्ञात में दिखाया गया है, उसमें जल्दी ही नामों का खुलासा हो सकता है, जिसमें एक नाम अधिशासी अभियंता और एक नाम सहायक अभियंता का हो सकता है। यह वही अभियंता बताए जा रहे हैं, जिनकी भूमिका नए पार्किंग के नये टेंडर कराने की जगह दोबारा एक्सटेंशन देने में रही है। सूत्रों के मुताबिक एक महिला अधिकारी भी सीबीआई के रडार में है।
पार्किंग घोटाले में यह बात खुलकर सामने आई है कि रिद्धिम एसोसिएट्स पर सिंचाई विभाग के अधिकारी पहले से ही मेहरबान रहे हैं। उन्होंने नियमों के विरुद्ध जाकर रिद्धिम को पार्किंग का ठेका दिया गया था, उस टेंडर में उच्च बोली 9.15 करोड़ रुपये की शर्मा ट्रेडर्स की थी, जबकि रिद्धिम एसोसिएट्स ने 8.15 करोड़ रुपये की बोली लगाई थी। उसके बावजूद भी सरकार को राजस्व का चूना लगाते हुए रिद्धिम एसोसिएट्स को ठेका देने के साथ-साथ यह बात भी सामने आई कि उससे स्टांप ड्यूटी व रजिस्ट्रेशन फीस भी नहीं वसूल की गई। पाया गया की स्टांप ड्यूटी में 16.30 लाख व रजिस्ट्रेशन फीस में 25 लाख रुपये का गोलमाल किया गया है।