अब सिलक्यारा में 230 घंटों से सुंरग में फंसे हुए 41 श्रमिकों की जिंदगी बचाने के लिए पीएमओ की निगरानी में छह विकल्पों पर एक साथ काम किया जा रहा है। मौके पर केंद्र सरकार के अधिकारियों की टीम के साथ देश की 6 बड़ी कंपनियों और संस्थाओं के विशेषज्ञों की राय पर अलग-अलग प्लान पर मिलकर काम किया जा रहा है। देश ही नहीं विदेश तक के विशेषज्ञ दुर्घटना स्थल पर पहुंच चुके हैं जिनके नेतृत्व में दिन- रात युद्ध स्तर पर रेस्क्यू का काम किया जा रहा है। लेकिन नतीजे की बात की जाए तो वह अभी सिर्फ ही है। हालांकि इसमें कोई संदेह नहीं है कि सिलक्यारा में श्रमिकों की जिंदगी बचाने के लिए अब केंद्र सरकार ने अपनी पूरी ताकत और संसाधनों को झोंक दिया है। पहले एक सप्ताह तक जो रेस्क्यू अभियान चला और उसके प्लान ए और बी के फेल होने के बाद जो स्थितियां बनी उसका संदेश अच्छा नहीं गया। सरकार और सरकारी मशीनरी की असफलता के चलते श्रमिकों और उनके परिजनों में ही नहीं वल्कि आम आदमी के मन में भी भारी नाराजगी देखी गई है। इसके बाद प्रधानमंत्री और केंद्र सरकार ने जिम्मेवारी संभालते हुए 6 विकल्पों पर एक साथ कार्य करना कर दिया है। लेकिन किसी भी विकल्प के सफल होने में कम से कम चार से पांच दिन लगने की संभावना दिखाई दे रही है। अभी तक प्लान बी यानी सुरंग में आगर मशीन के जरिए 400 एमएम के पाइप ड्रिलिंग के जरिए को ही सबसे सरल और सुविधाजनक माना जा रहा है क्योंकि इसके लिए सिर्फ 40-45 मीटर पाइप स्टॉल किये जाने की जरूरत है जबकि बाकी विकल्पों से मजदूरों तक पहुंचने के लिए बहुत लंबा रास्ता तय करना है। यही कारण है कि 50 घंटे बाद एक बार फिर सुरंग में आगर मशीन से ड्रिलिंग का काम शुरू कर दिया गया है। खास बात यह है कि अब आगर मशीन को आगे बढ़ने में कोई दिक्कत आती है तो उसके लिए रोबोट की मदद लेने की व्यवस्था भी की गई है जिससे यह पता लगाया जा सकेगा कि किस कारण से रुकावट पैदा हो रही है। आज रेस्क्यू ऑपरेशन की दूसरी एक बड़ी प्रगति यह रही कि सुंरग में फंसे मजदूर तक जरूरी सामान और रसद पहुंचाने के लिए 6 इंच के एक दूसरे पाइप को डालने का काम भी पूरा हो गया है जिससे अब सुरंग में दाल, चावल, रोटी और अन्य जरूरी सामान भेजने का रास्ता बन गया है।पहले 4 इंच के पाइप से ही ऑक्सीजन, पानी व ड्राई फूड भेजे जा रहे थे। लेकिन अब ठोस आहार भी इन श्रमिकों तक भेजा जा सकता है।
सुरंग के ऊपर से ड्रिलिंग और वर्टिकल ड्रिलिंग के प्लान के तहत पहाड़ पर रास्ता बनाने का काम पूरा होने की संभावना है। जिसके जरिए मशीनों को ऊपर तक लाया जा सकेगा। ड्रिलिंग प्वाइंटों पर पानी और बिजली पहुंचाने की व्यवस्था भी की जा चुकी है। सभी 6 प्लान पर अलग- अलग टीमें और सरकारी विभाग के कर्मचारी काम कर रहे हैं। वहीं बड़कोट की तरफ से सुरंग की खुदाई का काम भी शुरू कर दिया गया लेकिन 500 मीटर सुरंग को खोदने में बहुत लंबा समय लगना तय माना जा रहा है।