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खुलासा: उत्तराखंड प्रदूषण बोर्ड 7 साल में भी नहीं लागू करवा पाया बारकोड सिस्टम

August 24, 2023
in एक्सक्लूसिव
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खुलासा: उत्तराखंड प्रदूषण बोर्ड 7 साल में भी नहीं लागू करवा पाया बारकोड सिस्टम
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प्रदेश की एक बड़ी खबर सामने आ रही है यहां के पर्यावरण,वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा जारी की गयी अधिसूचना के सात साल बाद बोर्ड इसको राज्य में लागू करवाने में असफल साबित हुआ है।  मेडिकल वेस्ट  उठान व निपटान एजेंसी अभी भी सालों पुराने ढर्रे पर ही कार्य कर रही है। 

बायोमेडिकल वेस्ट मैनेजमेंट नियम दो हजार सोलह लागू होने के सात सालो बाद भी बायोवेस्ट का निपटान नही हो पा रहा है। हालांकि बोर्ड के अफसर जल्दी ही बारकोड प्रणाली चालू होने की बात कर रहे है। लेकिन यह भी सत्य है कि भारत सरकार के स्पष्ट आदेश के बाबजूद भी उतराखण्ड राज्य में प्रदूषण बोर्ड और इसका उठान व निपटान करने वाली एजेंसी आज तक बारकोड सिस्टम पूर्ण रूप से लागू नही करवा पाई।

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बारकोड लग जाने से एजेंसी और अस्पताल  बायोमेडिकल वेस्ट में हेराफेरी नहीं कर पाएंगे

 

 कचरे पर नजर रखेगा बारकोड 

 

———

 मेडिकल कचरा इधर उधर बिखरे होने की खबरें अक्सर आती रहती है। जिससे गंभीर संक्रमण फैलने का खतरा बना रहता है। इससे निजात पाने के लिए भारत सरकार द्वारा बार कोड सिस्टम लागू किया गया है। जिसके तहत सरकारी, निजी अस्पताल या  अन्य चिकित्सा संस्थान सभी को बायो मेडिकल बेस्ट उठाने का कार्य बारकोड के जरिये किया जाना होगा। इसमें बायो मेडिकल बेस्ट बैग में डालने के बाद मशीन से बारकोड एक्टिवेट करके स्लिप बैग पर चिपकानी होती है। जिसकी ऑनलाइन रिपोर्ट प्रदूषण बोर्ड को स्वतः ही पहुँच जाएगी।वेस्ट निपटान के स्थान पर वही प्रोसेस बारकोड के माध्यम से वजन देखा जाता है। यदि वजन में अंतर है तो इस विधि से तुरंत पता चल जाएगा कि कचरा कही बाहर निकाला गया है।बारकोड प्रणाली से खुले में कचरा फेंकने पर भी अंकुश लगेगा। बारकोड लग जाने से एजेंसी और अस्पताल  बायोमेडिकल वेस्ट में हेराफेरी नहीं कर पाएंगे

 कबाडियों को बेचा जा रहा मेडिकल कचरा

अक्सर शिकायतें आती रहती है कि अस्पतालों से निकलने वाला का बायोमेडिकल वेस्ट को उठाने के बाद कबाड़ी के यहाँ बेच दिया जाता है। इसमें आईबी फ्ल्यूड की प्लास्टिक बोतलें, सिरिंज,मेटल भी शामिल होता है। जो कि खतरनाक के साथ -साथ संक्रमणकारी भी है। अधिकांश कबाडियों के यहाँ ऐसा वेस्ट साफ देखा जा सकता है। जब दो एजेंसी इस कार्य मे लगी हुई है तब फिर कैसे यह बायोमेडिकल वेस्ट कबाड़ियों के यहाँ पहुँच जाता है,यह जांच का विषय है। परंतु बारकोड सिस्टम लागू करने से उठान व निपटान करने वाली एजेंसी भी इस कचरे को कबाड़ी को नही बेच पाएंगी।

Tags: daily Hindi samachar UttarakhandHindi samachar Uttarakhandlatest Hindi samachar Uttarakhandupdated Hindi samachar Uttarakhand
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