यदि नमामि गंगे प्रोजेक्ट को संचालित करने वाले अधिकारी या कर्मचारी बिधुत बिभाग को करंट की सूचना पहले दे देते तो यह हादसा ना होता और पंद्रह लोगो को अपनी जान ना गंवानी पड़ती। नमामि गंगे प्रोजेक्ट के तहत सीवर सीवर ट्रीटमेंट प्लांट मैं अचानक करंट लगने से 16 लोगों की दुखद मृत्यु हो गई थी जिससे पूरे उत्तराखंड में शोक की लहर फैल गई व सभी लोग विभागों की कार्यशैली देखकर व्यथित हो गए हैं। प्राप्त जानकारी के अनुसार मंगलवार को सीवर ट्रीटमेट प्लांट मे एक कार्मिक की करंट लगने से मौत हो गई थी और रात भर मृत कार्मिक वही प्लांट मे ही रहा। बुधवार सुबह जब उसका रिलीवर आया और साथी को मृतक देखा तो उसके हाथ पांव फूल गए उसने तुरंत अपने अफसरों को इसकी सूचना दी। परंतु नमामि गंगे के अफसरों व प्लांट संचालन कर रही कंपनी ने घोर लापरवाही दिखाते हुए बिधुत बिभाग को करंट की कोई सूचना नहीं दी। विद्युत विभाग के अधिशासी अभियंताजैसा अमित सैकसेना ने बताया की सुबह रूटीन चैकअप के तहत लाइनमैन द्वारा उस स्थान पर एक जम्पर टूटा देखा जिसके लिए ग्यारह बजकर पंद्रह मिनट पर सटडाउन लिया गया और ग्यारह पचीस पर सटडाउन वापिस लेकर लाइन चालू की थी ।कुछ ही देर बाद लाइनमैन को सूचना मिली कि करंट लगने से कई लोग मर गए है। अधिशासी अभियंता ने बताया कि अगर रात को ही सूचना मिल जाती तो लाइन बंद कर दी जाती और यह हादसा होने से बच जाता पंद्रह लोगो की जान भी बचाई जा सकती थी।
मामले की गंभीरता को देखते हुए विद्युत विभाग के निदेशक ऑपरेशन मदनलाल और गढ़वाल चीफ एम आर आर्य जांच दल सहित चमोली रवाना हो गए।
निदेशक परिचलान मदन लाल प्रसाद ने अवगत कराया की प्रबंधन ने तत्काल फोरी राहत के तौर पर पचीस लाख रूपये जारी कर किये है। निदेशक ने स्पष्ट शब्दों में चेतावनी दी कि यदि विभाग की कोई भी गलती सामने आती है तो किसी को भी बख्शा नहीं जाएगा। इसी के मद्देनजर विद्युत विभाग ने अपने एक अभियंता को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है