मध्यप्रदेश में महाकाल की नगरी उज्जैन में महीने भर पहले खून से लथपथ और आधे कपड़ों में कई दरवाजों पर दस्तक देती मासूम लड़की की तस्वीर ने देश में हर किसी को झकझोर कर रख दिया था। आखिरकार पुलिस ने तत्परता दिखाते हुए रेप की वारदात को अंजाम देने वाले आरोपी को गिरफ्तार कर लिया। अब लड़की की तबीयत ठीक है और वो अपने घर पहुंच चुकी है। लेकिन सरकार द्वारा किए गए वादों के जख्म अभी भरे नहीं हैं।
उज्जैन में एक ऑटोरिक्शा चालक ने बीते 25 सितंबर को कथित तौर पर पीड़िता से बलात्कार किया था। जिसके बाद खून से लथपथ आधे कपड़ों में रेप पीड़िता सड़कों पर मदद के लिए भीख मांगती रही परंतु कोई भी उसकी मदद के लिए आगे नहीं आया। बाद में एक आश्रम के पास पहुंचने पर वहां के संन्यासी ने उसकी मदद की और फिर पुलिस ने उसे अस्पताल में भर्ती कराया। इलाज के बाद वो 12 अक्टूबर को अपने घर चली गई।आरोपी को पकड़ने के बाद सरकार ने तमाम बड़े-बड़े वायदे किए थे।
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने इस घटना को लेकर कहा था कि इस घटना ने मध्यप्रदेश की आत्मा को घायल किया है।वो मध्यप्रदेश की बेटी और हम हर तरह से उसकी चिंता करेंगे. उसका ख्याल रखेंगे।
पीड़िता का घर सतना मुख्यालय से महज 20 किलोमीटर की दूरी पर मौजूद है. इस वाकये को करीब एक महीना बीत चुका है, लेकिन शासन- प्रशासन के किसी अधिकारी ने उसके घर तक पहुंचने की जहमत नहीं उठाई। पीड़िता एक घासफूस की झोपड़ी में रहती है,और उसके घर में अब भी मिट्टी का चूल्हा है। बाहर जाने के नाम पर वह अपनी चाची के साथ करीब 300 मीटर दूर स्थित नल तक पानी लेने ही जाती है।
पीड़ित का परिवार का आरोप है कि गांव में छुआछूत चरम पर है। पीड़िता अनुसूचित जाति के दोहर समुदाय से ताल्लुक रखती है।उसके भाई का कहना है कि इसी वजह से गांव के सरपंच और शासन-प्रशासन ने उनकी तरफ पलटकर नहीं देखा। उनके गांव में करीब 700 वोटर हैं, जिसमें आधे अगड़ी जाती हैं और आधे दलित पीड़ित के भाई ने कहा कि हम नीच जाति के हैं, कोई बड़ी जाति के लोग होते तो हमारी सुनवाई होती। आंकड़े भी बताते हैं कि मध्य प्रदेश में दलितों की हालत बहुत बेहतर नहीं है।
मध्यप्रदेश में दलितों के खिलाफ अपराध राष्ट्रीय औसत से अधिक है। वर्ष 2021 में देश में दलितों के खिलाफ अपराध के पचास हजार मामले प्रकाश आए थे। जिनमें से मध्यप्रदेश में अपराध का यह आंकड़ा 7, 211 था। 2021 में दलितों के खिलाफ देशभर में अपराध की दर 25.3 प्रतिशत के सापेक्ष मध्यप्रदेश में ये दर 63.6 प्रतिशत के करीब थी।
पीड़ित का परिवार और उसके पड़ोसी बताते हैं कि उन्हें अब तक कोई बड़ी मदद नहीं मिली है. पीड़ित के घर लौटने के बाद सबसे बड़ी मदद इलाके के बीजेपी उम्मीदवार सुरेन्द्र सिंह गरेवार की ओर से मिली है। नेताजी हालचाल पूछने के लिए और 1500 रुपये की मदद दे गए, जिससे परिवार घर का राशन ला सके।
परिवार ने सरकारी मदद के सवाल पर कहा कि उन्हें सरकार से इकलौती मदद 600 रुपये की हर महीने की सामाजिक न्याय पेंशन है। ऐसा लगता है कि नारी सम्मान, लाडली लक्ष्मी, लाडली बहना और महिला आरक्षण जैसे जुमले पीड़िता के लिए शायद नहीं है। जो लड़की एक महीने पहले जिंदगी और मौत के बीच जूझ रही थी, आज वो सिस्टम की अनदेखी का शिकार है।