उत्तराखण्ड उच्च न्यायालय ने एल. टी. भर्ती प्रक्रिया को निरस्त करते हुए बी. एड. की डिग्री जरूरी करने और आयोग को जल्द एग्जाम कराने के निर्देश दिए हैं।
आज मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने एसिस्टेंट प्रोफेसरों(एल.टी.) की भर्ती के लिए बी. एड. जरूरी होना चाहिए संबंधी याचिका को सुना। याचिका के अनुसार वर्ष 2020 में कला संकाय में निकाली गई एसिस्टेंट प्रोफेसरों (एल.टी.) की भर्ती प्रक्रिया के लिए एन.सी.टी.ई. की नियमावली के अनुसार बी.एड. जरूरी था। सरकार ने वर्ष 2021 में नए नियम बनाकर बी.एड की अनिवार्यता खत्म कर दी।
वर्तमान में कला विषय के करीब 246 पदों के लिये भर्ती प्रक्रिया चल रही थी। तारा राम ने उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल कर कहा कि एन.सी.टी.ई. की नियमावली के अनुसार बी.एड. जरूरी है। याची ने न्यायालय से ये भी कहा की सरकार के पास कोई शक्ति इसे बदलने की नहीं है। याची के अधिवक्ता कार्तिकेय हरी गुप्ता ने बताया कि आज मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी और न्यायमूर्ति रविन्द्र मैठाणी की खंडपीठ ने मामले को सुनने के बाद याचिका को स्वीकार किया और भर्ती प्रक्रिया को निरस्त कर दिया है। न्यायालय ने कहा कि एन.सी.टी.ई. की नियमावली के अनुसार बी. एड. जरूरी है और वही नियम लागू रहेगा। न्यायालय ने आयोग से जल्द भर्ती प्रक्रिया शुरू कर भर्तियां सम्पन्न करने को कहा।