प्रदेश में भू माफियाओं,बिल्डरों और अवैध अतिक्रमण करने वालों के हौसले इतने बुलंद है, या यूं कहिए कि अधिकारियों से उनकी मिलीभगत कुछ इतनी मजबूत है कि उनके आगे सरकार भी लाचार नजर आती है।
ताजा मामला हरिद्वार का है। हरिद्वार प्राधिकरण के अवैध निर्माण को रोकने के दावों की पोल लगातार खुलती जा रही है। श्यामपुर गाजीवाली क्षेत्र में बढ़ते अवैध निर्माण से विकास प्राधिकरण की भूमिका पर लगातार सवाल उठ रहे हैं एक ओर प्राधिकरण की ओर से दो कमरे के मकान को भी नियमों के खिलाफ निर्माण होने पर सील कर दिया जाता है वहीं दूसरी ओर गंगा किनारे निर्माणाधीन बड़े-बड़े प्रोजेक्ट प्राधिकरण को खुली चुनौती दे रहे हैं। प्राधिकरण की लापरवाही के चलते बाढ़ प्रभावित क्षेत्र में लगातार अवैध निर्माण हो रहे हैं। यदि जल्द ही इस तरह के अवैध निर्माणों पर रोक नही लगाई गई तो बरसात के समय कोई भी अप्रिय घटना घटने से इंकार नही किया जा सकता है। गाजीवाली क्षेत्र स्थित प्रेम निवास के सामने ज्वालापुर के एक प्रतिष्ठित व्यापारी ने बड़ी संख्या में मजदूरों को लगाकर गंगा का रुख मोड़ दिया है। बड़े-बड़े पत्थरों से तारबाड़ कर गंगा में ही कब्जा कर लिया गया है। तेजी के साथ इस निर्माण कार्य को पूरा किया जा रहा है। सिंचाई विभाग और प्राधिकरण के अधिकारी आंख मूंदकर बैठे है। विभागीय अधिकारियों की लापरवाही के चलते बड़े-बड़े बिल्डरों और भूमाफिया के हौसले इतने बुलंद है कि बिल्डर गंगा किनारे तो अवैध निर्माण करने के साथ-साथ गंगा के भीतर ही कंक्रीट की दीवार और तारबाड़ कर गंगा पर ही कब्जा कर लिया है। जिससे सिंचाई विभाग और प्राधिकरण की भूमिका पर सवाल खड़े हो रहे हैं। स्थानीय निवासियों का कहना है कि जल्द ही एक प्रतिनिधिमंडल विकास प्राधिकरण का घेराव कर इस प्रोजेक्ट के खिलाफ अपनी शिकायत दर्ज कराएगा और यदि निर्माण नहीं रोका गया तो क्षेत्रवासी शहरी विकास मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल का घेराव करेंगे और इस निर्माण के खिलाफ हाईकोर्ट जाएंगे।