उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से अजीबोगरीब खबर सामने आ रही है। प्राप्त जानकारी के अनुसार कोरोना काल के वक्त से बंद चली आ रही रेल गाड़ियों को दोबारा से सुचारू रूप से पटरी पर लाने में पूरी तरह से विफल रहे रेलवे ने एक चूहे को पकड़ने के लिए 41 हजार रुपए खर्च कर दिए और लगभग 69 लाख रुपए की भारी भरकम राशि खर्च करके केवल 168 चूहे पकड़ने में कामयाबी हासिल कर सके। चूहों की वजह से हो रहे नुकसान से निजात पाने के लिए रेलवे ने सेंट्रल वेयरहाउसिंग कारपोरेशन को राजधानी लखनऊ में चूहा पकड़ने के लिए लगाया था। वर्ष 2022 में दिए गए चूहे पकड़ने के इस ठेके के बारे में जब रेलवे से आरटीआई के माध्यम से एक व्यक्ति द्वारा जानकारी मांगी गई तो पता चला कि रेलवे ने एक चूहे को पकड़ने के लिए 41000 खर्च कर दिए।
इसका मतलब यह है कि करीब 3 साल चले इस अभियान के बाद रेलवे के केवल 168 चूहे ही पकड़े जा सके। जिससे पता चलता है कि जिस कंपनी ने चूहों को पकड़ने का ठेका लिया था, उसने करीब साढ़े छह दिन का समय एक चूहे को पकड़ने के लिए लिया है। इन साढ़े छह दिन में अफसरों ने एक चूहे को पकड़ने में 41000 बर्बाद कर दिए। हर साल चूहे को पकड़ने वाले अभियान में तकरीबन 23 लाख 16 हजार 150 रुपए का खर्च आया। 3 साल तक चले इस अभियान में 69 लाख 48 हजार 450 रूपए खर्च कर दिए गए। अब रेलवे के अधिकारी आरटीआई के माध्यम से हुए इस बड़े खुलासे के बाद से जानकारी देने से आंख बचाते हुए फिर रहे हैं।