देहरादून पुलिस ने दून शहर में स्थित काबुल हाउस की जमीन के फर्जी दस्तावेज तैयार करने वालों के खिलाफ मुक़दमा दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। यहां यह बताते चलें कि करनपुर चौक पर पुलिस चौकी के पीछे वाली भूमि, पूर्व काबूल के अमीर याकूब की सम्पत्ति थी। जो वर्ष 1876 में उनको बिट्रिश सरकार की तरफ से दी गयी थी। तबसे यह भूमि याकूब के वारिसों के नाम दर्ज चली आ रही थी।1947 में भारत विभाजन के बाद याकूब के वारिस के पाकिस्तान चले जाने के बाद इनका हिस्सा शत्रु संपति घोषित हुआ। वर्ष 2000 में साहिद और खालिद पुत्र तथाकथित अब्दुल रज्जाक, निवासी ढोलीखाल, जनपद सहारनपुर ने इस भूमि को (अब्दुल रजाक की खेवट-47) अपने नाम अंकित करवाया और इन दोनों ने इस भूमि की पावर ऑफ अटॉर्नी मौहमद आरिफ खान पुत्र शफात अली खान निवासी शामली को दी। इस भूमि पर विवाद होने के उपरान्त कब्जाधारियों की याचिका पर उच्च न्यायालय ने याचिका का निस्तारण करते हुए याचिकाकर्ताओं को अपना पक्ष जिलाधिकारी देहरादून/ असिस्टेन्ट कस्टूडियन के समक्ष रखने हेतु आदेशित किया और सम्पति पर यथास्थिति बनाये रखने का आदेश दिया था। लेकिन मौहमद आरिफ खान पुत्र शफात अली खान निवासी शामली, भगवती प्रसाद उनियाल पुत्र रामकिशन उनियाल आदि ने जालसाजी करते हुए विक्रय पत्र आदि तैयार कर इस भूमि को करीब 30 लोगों को वर्ष 2017 में बेच दिया। खरीदने वालो नें इसके पश्चयात इस भूमि पर कब्जा कर निर्माण कार्य कर दिए। वर्ष 2018 में इस्लामुद्दीन अंसारी पुत्र स्व०समशुद्दीन, द्वारा इस जमीन के बाबत शिकायत जिलाधिकारी देहरादून को दी गई थी। जिलाधिकारी देहरादून ने जाँच कराकर 2019 के उत्तर प्रकरण में अपर जिलाधिकारी न्यायालय देहरादून द्वारा 20 नवम्बर 2021 को शाहिद, खालिद की विरासत खारिज कर दी गई थी। उच्च न्यायालय नैनीताल का भूमि प्रकरण में आदेश पारित होने के बाबजूद भी शाहिद, खालिद, आरिफ खान, भगवती प्रसाद उनियाल आदि में षडयन्त्र के तहत कस्टूडीयन/सरकारी सम्पत्ति को कूटरचित दस्तावेजो के आधार पर तथा सम्पति को गैर कानूनी तरिके से स्वामित्व की सम्पति दर्शित करते हुए शाहिद व खालिद पुत्रगण अब्दुल रजाक निवासी ढोली खाल सहारनपुर उत्तर प्रदेश, को अब्दुल रज्जाक का पुत्र और वारिस दर्शाते हुए मिलीभगत करके अभिलेखो में अपनी विरासत दर्ज करवायी। इसके पश्चात इनके द्वारा फर्जी मुख्तारनामा तैयार कराकर सरकारी सम्पति पर कब्जा- धारी भगवती प्रसाद उनियाल आदि से मिलीभगत करके फर्जी विक्रय पत्र भगवती प्रसाद उनियाल व अन्य लोगों के पक्ष में तैयार कराये। पुलिस ने चारों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करके जांच शुरू कर दी।