देहरादून। विकास के तमाम दावे करने वाले और पिछले विधानसभा चुनाव में हार चुके मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने गोदी चैनलों पर अपने ‘विकास’ के दावों पर खर्च करने के लिए जनता के 1 हजार करोड रुपए से अधिक की धनराशि खर्च कर दी है।
एक वेबसाइट के मुताबिक यह इतनी चौंकाने वाली रकम है कि औसतन 55 लाख रुपए प्रतिदिन सरकार अपनी नीतियां गिनाने में खर्च कर रही है और धरातल पर विकास क्या है यह किसी को पता नहीं।

बेरोजगारी और आपदा से जूझ रही उत्तराखंड सरकार अपने विकास कार्यों को गिनाने में सरकारी धन खर्च कर रही है।
सरकार की गोद में बैठे पत्रकार और अखबार आज खबर प्रकाशित कर रहे हैं कि बल ‘उत्तराखंड विकास की ओर अग्रेषित है।’ लेकिन सच्चाई इसके उलट है।
उत्तरकाशी, देहरादून, रुद्रप्रयाग समेत समूचे प्रदेश में इस मानसून में इतनी आपदा आई है, जिसमें कई लापता लोगों के शव बरामद नहीं हुए हैं।
मुख्य मुद्दों से हटकर धाकड़ धामी अब केंद्र सरकार से विकास कार्यों को लेकर 17,877 करोड़ रुपए का अनुदान मांग कर रहे हैं।
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से मुलाकात करते हुए ‘धाकड़’ धामी ने बताया है कि यह पैसा विशेष सहायता के लिए मांगा जा रहा है।
अरबों रुपए विज्ञापन पर खर्च करने वाली यह सरकार नहीं सोच रही है बेरोजगारों के बारे में और आपदा पीड़ितों के बारे में।
मोटे-मोटे अखबारों के दलाल पत्रकारों और संपादकों को पैसा देने वाला सूचना विभाग भी अंधभक्त बन गया है।
ऐसी स्थिति में शिक्षित बेरोजगारों में उबाल आना स्वाभाविक है।
प्रदेश सरकार को चाहिए कि ‘प्रचार-प्रसार’ पर जोर न देकर विकास पर ध्यान दें।











