नैनीताल। जिला पंचायत अध्यक्ष-उपाध्यक्ष चुनाव में हुए बवाल और पांच सदस्यों के कथित अपहरण के मामले में राज्य निर्वाचन आयोग ने जांच शुरू कर दी है। आयोग ने जिलाधिकारी, एसएसपी, दोनों प्रत्याशियों और अपहृत बताए गए सदस्यों को नोटिस जारी कर पांच सितंबर को आयोग के समक्ष पेश होने को कहा है। मामले की गंभीरता को देखते हुए मुख्यमंत्री ने भी कुमाऊं कमिश्नर से जांच रिपोर्ट तलब की है, वहीं यह प्रकरण हाईकोर्ट में भी विचाराधीन है।
पक्षकारों को नोटिस, पांच सितंबर को पेश होने के निर्देश
निर्वाचन आयोग की ओर से जिन लोगों को नोटिस भेजा गया है उनमें डीएम, एसएसपी, जिला पंचायत अध्यक्ष दीपा दर्मवाल और पुष्पा नेगी, याचिकाकर्ता व जिला पंचायत सदस्य पूनम बिष्ट, तथा कथित तौर पर अपहृत सदस्य डिकर सिंह मेवाड़ी, तरुण कुमार शर्मा, प्रमोद कोटलिया, दीप बिष्ट और विक्रम जंतवाल शामिल हैं। सभी को पांच सितंबर को आयोग के समक्ष उपस्थित होकर अपना पक्ष रखने को कहा गया है।
हाईकोर्ट में मामला, नौ सितंबर को अगली सुनवाई
याचिकाकर्ता पूनम बिष्ट ने मतगणना में धांधली का आरोप लगाते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। उनका कहना है कि अध्यक्ष पद पर निरस्त मतपत्र में ओवरराइटिंग कर छेड़छाड़ की गई और प्रक्रिया का पालन किए बिना परिणाम घोषित कर दिया गया। सोमवार को मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति जी. नरेंद्र और न्यायमूर्ति सुभाष उपाध्याय की खंडपीठ में सुनवाई हुई। राज्य निर्वाचन आयोग की ओर से अधिवक्ता संजय भट्ट ने शपथपत्र दाखिल कर याचिका को अपरिपक्व बताया और खारिज करने की मांग की, लेकिन याचिकाकर्ता ने इसे स्वीकार नहीं किया। कोर्ट ने आयोग को जवाब दाखिल करने के लिए समय देते हुए अगली सुनवाई 9 सितंबर तय की है।