चंपावत। पहाड़ दूर से जितने खूबसूरत लगते हैं, वहां का जीवन उतना की कष्टकारी होता है। आज भी उत्तराखंड के पहाड़ी इलाके सड़क जैसी मूलभूत सुविधा मयस्सर न हो पाने पर वहां के रहवासी अपार कष्ट झेल रहे हैं, लेकिन उनकी सुध लेने वाला दूर-दूर तक नजर नहीं आता। इस दर्द को एक बार फिर सीएम धामी की विधानसभा से सामने आए एक तस्वीर ने जिंदा कर दिया है। जहां ग्रामीण भारी बारिश के बीच एक डंडे में शव बांध कर 12 किलोमीटर दूर अपने गांव ले गए।
दरअसल, सरकार के तमाम दावों की पोल खोलने वाली तस्वीर चंपावत के सीमांत तल्लादेश से सामने आया है। जहां खटगिरी गांव के संतोष (उम्र 65 वर्ष) की चंपावत के अस्पताल में मौत हो गई थी। ग्रामीण संतोष के शव को वाहन से करीब 32 किलोमीटर मंच क्षेत्र तक ले गए, लेकिन उसके आगे 12 किलोमीटर पगडंडी में भारी बरसात में शव को कैसे ले जाएं? इस बात की चिंता हुई।
वहीं, ग्रामीण ने एक लकड़ी के डंडे में शव को पन्नी से बांध कर करीब 12 किलोमीटर का दुष्कर सफर तय किया। जिसके बाद संतोष का शव उसके गांव में घर तक पहुंचाया। जिस अभागे व्यक्ति को जीते जी अपने घर तक सड़क नसीब नहीं हो पाई, वो मरने के बाद भी अपने गांव को जाने वाली पगडंडियों में डंडे से लिपटकर अपने घर तक पहुंचा। किसी ग्रामीण ने राज्य गठन के 25 सालों बाद भी सड़क ना पहुंचने के दर्द को शव को डंडे में बांध कर ले जाने के वीडियो के रूप में कैद कर किया,जो अब सामने आया है।