उत्तराखंड पेयजल निगम के अध्यक्ष ने कर्मचारी आचरण नियमावली के उल्लंघन के आरोप में सुजीत कुमार विकास, प्रभारी मुख्य अभियंता को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है। सुजीत कुमार पर आरोप है कि उन्होंने एक फर्म का पंजीकरण कराने और कार्य दिलाने के एवज में 10 लाख रुपये लिए, जो उनकी पत्नी की फर्म को हस्तांतरित किए गए थे शिकायत मिलने पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने प्रभारी मुख्य अभियंता सुजीत कुमार को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया था।
अब मुनस्यारी के भ्रष्ट तत्कालीन डीएफओ डॉ. विनय भार्गव पर भी निलंबन की गाज गिरने वाली है।
दरअसल मुनस्यारी रिजर्व फॉरेस्ट में वन विभाग द्वारा बनाए गए ईको हट्स के निर्माण में करोड़ों रुपये के घोटाले का खुलासा हुआ था। यह मामला विभाग के वरिष्ठ अधिकारी संजीव चतुर्वेदी द्वारा मार्च 2025 में सौंपी गई 446 पन्नों की जांच रिपोर्ट से सामने आया।
रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2018-19 में तत्कालीन डीएफओ डॉ. विनय कुमार भार्गव ने बिना टेंडर और प्रशासनिक अनुमति के ₹1.63 करोड़ की राशि खर्च कर ईको हट्स बनवा दिए। निर्माण सामग्री फर्जी फर्मों से खरीदी गई और 13 बिल एक ही दिन में पास कर ₹87 लाख से अधिक का भुगतान कर दिया गया।
जांच में यह भी सामने आया कि अगस्त 2020 में एक संस्था से एमओयू किया गया, जो सितंबर 2020 में ही रजिस्टर्ड हुई थी। इस संस्था को बिना विज्ञापन और स्वीकृति के ईको हट्स से 70 प्रतिशत राजस्व सौंपा गया। फंड ट्रांसफर वनाग्नि नियंत्रण और प्रशिक्षण योजनाओं से भी हुआ।
वन (संरक्षण) अधिनियम 1980 की धारा 2 का उल्लंघन भी हुआ क्योंकि ईको हट्स सीमेंट-कंक्रीट से बने स्थायी ढांचे थे। रिपोर्ट में मनी लॉन्ड्रिंग, धोखाधड़ी और फर्जीवाड़े की धाराओं में एफआईआर की सिफारिश की गई है।
अब जल्द ही इस भ्रष्ट अधिकारी पर भी निलंबन की गाज गिरने वाली है।