देहरादून। उत्तराखंड: राष्ट्रवादी रीजनल पार्टी ने अंकिता भंडारी हत्याकांड को लेकर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष शिवप्रसाद सेमवाल ने प्रेस क्लब में आयोजित एक प्रेस वार्ता में कहा कि इस मामले ने उत्तराखंड और पूरे देश में महिलाओं की सुरक्षा, सत्ता के दुरुपयोग और जांच प्रक्रिया की पारदर्शिता पर गंभीर सवाल उठाए हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि भले ही तीन मुख्य आरोपियों—पुलकित आर्य, सौरभ भास्कर और अंकित गुप्ता को आजीवन कारावास की सजा मिल चुकी हो, लेकिन कई महत्वपूर्ण सवाल अभी भी अनुत्तरित हैं।
वीआईपी’ गेस्ट की पहचान और जांच में कमियां
पार्टी की प्रदेश अध्यक्ष सुलोचना ईष्टवाल ने सवाल उठाया कि अंकिता पर दबाव डालने वाले ‘वीआईपी’ गेस्ट की पहचान क्यों नहीं हो पाई? उन्होंने कहा, “कुछ स्रोतों में अंकिता की मां सोनी देवी ने ‘अजय कुमार’ का नाम लिया, लेकिन इस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। क्या इस ‘वीआईपी’ को बचाने के लिए जांच को जानबूझकर सीमित किया गया?”
सबूत नष्ट करने की जल्दबाजी
महिला प्रकोष्ठ की अध्यक्ष शैल बाला ममंगाई ने हत्या के बाद वनंतरा रिजॉर्ट में सबूत नष्ट करने की जल्दबाजी पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा, “रिजॉर्ट की दीवारें और अंकिता का कमरा बुलडोजर से क्यों तोड़ा गया? गवाह जेसीबी चालक दीपक ने कोर्ट में कहा कि यह यमकेश्वर की बीजेपी विधायक रेनू बिष्ट और तत्कालीन एसडीएम के आदेश पर हुआ। क्या यह किसी प्रभावशाली व्यक्ति को बचाने की कोशिश थी?”
यौन शोषण के आरोपों की अनदेखी
शैल बाला ममंगाई ने यह भी पूछा कि यौन शोषण के आरोपों की पूरी जांच क्यों नहीं हुई? “गवाह विवेक आर्य ने कोर्ट में बताया कि सौरभ भास्कर और पुलकित आर्य ने अंकिता का यौन उत्पीड़न किया। फिर भी, पुलिस की चार्जशीट में यौन शोषण के सबूतों को शामिल नहीं किया गया, और फोरेंसिक रिपोर्ट भी गायब थी। क्या इस पहलू को जानबूझकर दबाया गया?
पुलिस की निष्क्रियता और संगठित अपराध की आशंकाएं
राष्ट्रीय उपाध्यक्ष संजय डोभाल ने पुलिस और प्रशासन की शुरुआती निष्क्रियता पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा, “अंकिता के लापता होने की शिकायत के बाद राजस्व पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की। क्या इसमें सत्ता का दबाव था?” उन्होंने यह भी पूछा कि क्या रिजॉर्ट में संगठित अपराध, जैसे अनैतिक देह व्यापार, चल रहा था, और इसकी गहराई से जांच क्यों नहीं हुई?
सीबीआई जांच की मांग
पार्टी के व्यापार प्रकोष्ठ अध्यक्ष नवीन पंत ने कहा कि वनंतरा रिजॉर्ट में संगठित अपराध के संकेत मिले, लेकिन इस रैकेट की जांच नहीं हुई। उन्होंने सवाल किया, “
सीबीआई जांच की मांग को सुप्रीम कोर्ट ने क्यों ठुकराया? अंकिता की मां को अंतिम संस्कार में उनकी बेटी का चेहरा देखने से क्यों रोका गया? क्या प्रभावशाली लोगों को बचाने के लिए जांच को प्रभावित किया गया?” उन्होंने यह भी पूछा कि अदालत ने ‘वीआईपी’ के मुद्दे पर पुलिस को जांच के निर्देश क्यों नहीं दिए।
न्याय के लिए हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में पैरवी की मांग
शिवप्रसाद सेमवाल ने कहा कि उनकी पार्टी अंकिता के परिवार और पूरे समाज के लिए न्याय की मांग करती है। उन्होंने सीबीआई जांच के साथ-साथ हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में शीर्ष अधिवक्ताओं से पैरवी की मांग की।