उत्तराखंड पुलिस की दादागिरी और मनमानी की कहानी कोई नई नहीं है। आए दिन सोशल मीडिया पर पुलिस प्रताड़ना से जुड़े वीडियो और मामले सामने आते रहते हैं, जिनसे आम जनता का भरोसा लगातार कमजोर होता जा रहा है। ताजा घटनाक्रमों ने एक बार फिर पुलिस की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
पिथौरागढ़ में लक्ष्मी दत्त जोशी के साथ नग्न कर मारपीट के मामले में पुलिस शिकायत प्राधिकरण ने पूर्व एसपी लोकेश्वर सिंह को दोषी माना है। इस फैसले के बाद लोकेश्वर सिंह की मुश्किलें और बढ़ती नजर आ रही हैं। यह मामला पहले ही पुलिस विभाग की छवि को झकझोर कर चुका है।
इसी कड़ी में कोटद्वार के पत्रकार सुभांशु थपलियाल की गिरफ्तारी ने उत्तराखंड पुलिस को कठघरे में खड़ा कर दिया था । पत्रकार ने पौड़ी के पूर्व एसपी लोकेश्वर सिंह, चंद्रमोहन सिंह, इंस्पेक्टर रमेश तनवर समेत कुल 7 पुलिस कर्मियों के खिलाफ पुलिस शिकायत प्राधिकरण, देहरादून में शिकायत दर्ज कराई थी।
प्राधिकरण ने पत्रकार द्वारा प्रस्तुत तथ्यों को स्वीकार करते हुए सभी संबंधित पुलिसकर्मियों के खिलाफ सुनवाई शुरू कर दी है और जल्द ही इस मामले में फैसला आने की संभावना जताई जा रही है।
पुलिस ने पत्रकार को ही उठा लिया
बताया जा रहा है कि जनवरी 2025 में कोटद्वार में एक कार सवार ने एक युवती को टक्कर मार दी थी। हादसे में युवती अंजली की मौके पर ही मौत हो गई थी, जबकि आरोपी चालक फरार हो गया । जब पुलिस 12 दिन बाद भी आरोपी को पकड़ने में नाकाम रही, तो पीड़िता की मां ने पत्रकार सुभांशु थपलियाल से मदद की गुहार लगाई। पत्रकार ने इस मामले को लेकर अपने फेसबुक पेज पर एक पोस्ट साझा की। फेसबुक पोस्ट के बाद पुलिस हरकत में आई , लेकिन कार्रवाई आरोपी के बजाय पत्रकार पर हुई । देर रात सात पुलिसकर्मी पत्रकार के घर पहुंचे और उन्हें कोटद्वार थाने ले जाया गया । यहाँ पत्रकार के खिलाफ मानहानि समेत अन्य धाराओं में मुकदमा दर्ज कर उन्हें पूरी रात लॉकअप में रखा गया । पत्रकार ने अपनी गिरफ्तारी को अवैधानिक और बदले की भावना से प्रेरित बताया । इस ख़बर को उत्तराखंड हिंदी समाचार ने प्रमुखता के साथ प्रकाशित किया था। हालांकि, पत्रकार की पोस्ट के दबाव में पुलिस सक्रिय हुई और पत्रकार की गिरफ्तारी के अगले ही दिन आरोपी कार चालक को पकड़ लिया गया। यह तथ्य अपने आप में पुलिस की कार्यशैली पर कई सवाल खड़े करता है।
अब पिथौरागढ़ के नग्न मारपीट मामले के बाद कोटद्वार पत्रकार गिरफ्तारी प्रकरण ने भी पूर्व एसपी लोकेश्वर सिंह की परेशानी बढ़ा दी है। आम लोग कह रहे हैं कि लोकेश्वर सिंह अपने ही फैसलों और मामलों की वजह से चारों ओर से घिरते जा रहे हैं। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि पिथौरागढ़ के बाद कोटद्वार मामला उनके लिए कितना भारी साबित होता है।
वहीं केशव थलवाल का मामला किसी से छिपा नहीं है, जहां पुलिस हिरासत के दौरान उन्हें पेशाब पिलाने सहित अनेक अमानवीय यातनाएं दी गई हैं। इसकी जांच रिपोर्ट अभी तक सार्वजनिक नहीं हुई है।
कुल मिलाकर, इन मामलों ने पुलिस विभाग की साख को गहरी चोट पहुंचाई है। सवाल यह है कि क्या दोषियों पर सख्त कार्रवाई होगी या फिर यह मामले भी फाइलों में दबकर रह जाएंगे।
वहीं प्रदेश के सभी मीडिया संगठनों ने पुलिस की अवैधानिक कार्रवाई की मांग को लेकर सरकार को चेतावनी दी है, कि यदि अति शीघ्र दोषी पुलिस अधिकारियों कार्रवाई नहीं हुई और लोकतंत्र के चौथे स्तंभ पर प्रहार किया जाएगा, तो पत्रकार संगठन आंदोलन के लिए बाध्य होगा।









