देहरादून। नाबालिग से दुष्कर्म के मामले में विशेष न्यायाधीश (पोक्सो) अदालत ने एक अहम फैसला सुनाया है। पीड़िता के बयान से मुकरने के बाद भी माननीय न्यायालय ने आरोप को दोषी पाते हुए 20 वर्ष की सजा सुनाई है।
सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता अल्पना थापा ने बताया कि 19 जनवरी 2020 को देहरादून निवासी एक महिला ने तहरीर दी कि सुबह पांच बजे करीब से उनकी नाबालिग बेटी घर से गायब है। उन्होंने मोहब्बेवाला निवासी मुकेश उर्फ मुन्ना पर बेटी के अपहरण का आरोप लगाया था। 30 जनवरी के पुलिस ने मुन्ना को दिल्ली से गिरफ्तार कर लिया था। इस दौरान घर से गायब नाबालिग लड़की भी उसी के साथ थी। किशोरी ने पुलिस को बयान दिया था कि मुन्ना से उसका प्रेम प्रसंग है, इसलिए वह उसके साथ चली गई। उसने बयान दिया कि मुन्ना ने उसे होटल में गर्भ निरोधक गोलियां दी थी। पुलिस ने जब पीड़िता के मजिस्ट्रेट बयान दर्ज कराई तो वह मजिस्ट्रेट के समक्ष पुलिस को दिए बयानों से मुकर गई। पीड़िता ने मेडिकल जांच में भी सहयोग नहीं किया साथ ही अपने साथ दुष्कर्म होने की बात भी ना कर दी। लेकिन जब पुलिस ने उसके कपड़ों को फोरेंसिक लैब में जांच के लिए भेजा तो कपड़ों पर आरोपित मुकेश का सीमेन मिला।
चार्ज शीट दाखिल होने के बाद मामला विशेष न्यायाधीश (पोक्सो) की अदालत पहुंचा। अदालत में भी पीड़िता दुष्कर्म के आरोपों से मुकर गई, लेकिन चिकित्सक की गवाही और फोरेंसिक जांच रिपोर्ट के आधार पर शुक्रवार को न्यायाधीश अर्चना सागर की अदालत ने आरोपित मुकेश उर्फ मुन्ना को नाबालिक से दुष्कर्म का दोषी करार देते हुए 20 वर्ष की कैद की सजा सुनाई।