पुरानी कहावत है कि साम, दाम, दंड ,भेद अपनाया जाए। यही काम भारतीय जनता पार्टी ने भी इस पंचायत चुनाव में किया है। गिरते जनाधार को बढ़ाने के लिए भाजपा ने सारे हथकंडे अपना आए हैं।
जिसके फल स्वरुप वह सत्ता में वापसी का प्रयास कर रहे हैं।
उत्तराखंड में पंचायत चुनाव के नतीजों में कई नेता फेल हो गए। कुछ नेता अपने खून की राजनीति में धमाकेदार एंट्री करवा गए। कई युवाओं विशेषकर महिलाओं ने चौंकाया और फाइनल बाजी एक बार फिर सीएम धामी के हक में रही।
तिकड़मबाजी करते हुए भाजपा इस पंचायत चुनाव को अपने पक्ष में बनाने के लिए कामयाब रही है।
विधानसभा उपचुनाव
लोकसभा, नगर निकाय के बाद अब पंचायत चुनाव में भी भाजपा ने जीत हासिल की।
गुरुवार को आए जिला पंचायत के नतीजों में 12 में से 10 सीटों पर भाजपा का कब्जा रहा। इनमें 5 सीटों पर पार्टी प्रत्याशी पहले ही निर्विरोध विजयी हो चुके थे। रुद्रप्रयाग, बागेश्वर, चमोली, पौड़ी और अल्मोड़ा में जीत दर्ज की गई, जबकि उत्तरकाशी, चंपावत, टिहरी, पिथौरागढ़ और ऊधम सिंह नगर में पहले ही सफलता मिल चुकी थी। नैनीताल में मतगणना पुनः होनी है, जबकि हरिद्वार की सीट पहले से भाजपा के पास है।
देहरादून जिला पंचायत अध्यक्ष पर कांग्रेस ने भाजपा से कुर्सी छीनकर दबदबा बनाया। यह जीत कांग्रेसी संजीवनी मानकर चल रहे हैं। इस सीट पर निवर्तमान जिपं अध्यक्ष मधु चौहान एक बार फिर चुनाव नहीं जीत सकीं।
यह भाजपा के विधायक मुन्ना चौहान के लिए बड़ा झटका है। दून के परिणाम ने यह भी साबित कर दिया कि चकराता क्षेत्र में प्रीतम सिंह का ही डंका बजता है।
ब्लॉक प्रमुख और ग्राम प्रधान में भी भारी बढ़त
ब्लॉक प्रमुख के 89 पदों में से 75 प्रतिशत से अधिक भाजपा ने अपने नाम किए, वहीं ग्राम प्रधान के चुनाव में भी पार्टी ने 85 प्रतिशत सीटों पर कब्जा जमाया। पहाड़ी क्षेत्रों में भाजपा का प्रदर्शन विशेष रूप से दमदार रहा।