देहरादून। दो दो राज्यों का ओबीसी सर्टिफिकेट बनाकर उत्तराखंड नीट काउंसलिंग मे सलेक्शन
चारू पाल पुत्री गजराज ने यूपी नीट की तीन काउंसलिंग मे खुद को ओबीसी दिखाया है। वहां सलेक्शन नही हुआ तो उत्तराखंड आ गयी। यहां पहली काउंसलिंग मे खुद को समान्य दर्शाया। सलेक्शन नही हुआ तो दूसरी काउन्सलिंग मे कालागढ, कोटद्वार से ओबीसी का सर्टिफिकेट बनाकर उत्तराखंड मे सलेक्शन हो गया। आखिर दो- दो राज्यों का ओबीसी सर्टिफिकेट कैसे बन सकता है?
यूपी की नीट की तीन काउंसलिंग मे इनका क्रमांक क्रमशः 3883, 4036, और 4073 है।
उत्तराखंड मे नीट की पहली काउंसलिंग मे इन्होने खुद को जनरल दिखाया। इसमे इनका क्रमांक 246 था।
जनरल मे सलेक्शन नहीं हुआ तो दूसरी काउन्सलिंग मे खुद कोटद्वार कालागढ की ओबीसी प्रमाण पत्र बनवाकर सलेक्शन पा लिया लेकिन इन्हे अल्मोड़ा सीट मिली। दूसरी काउन्सलिंग मे इनका क्रमांक 121 था। लेकिन इनको अल्मोड़ा दूर लगा तो तीसरी काउंसलिंग फिर से ओबीसी प्रमाण पत्र प्रस्तुत करके सलेक्शन पा लिया और इनको हल्द्वानी मेडिकल कॉलेज की सीट आवंटित करा ली। तीसरी काउंसलिंग मे इनका क्रमांक 814 था।
चारु पाल पुत्री गजराज ने उत्तराखंड के मूल निवासी अभ्यर्थी का हक मारा है।
दो – दो राज्य के ओबीसी प्रमाण पत्र कैसे बन गये ! इनकी सारी पढाई लिखाई उत्तर प्रदेश मे ही हुई है।
उप जिलाधिकारी कोटद्वार सोहन सिंह सैनी ने बताया कि प्रथम दृष्टया मामला फर्जी ओबीसी प्रमाण पत्रों का प्रतीत हो रहा है। मामले की जांच की जा रही है।
वहीं राष्ट्रवादी रीजनल पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष शिवप्रसाद सेमवाल ने साफ चेतावनी दी है कि दो दो राज्यों का ओबीसी सर्टिफिकेट बनाकर उत्तराखंड नीट काउंसलिंग मे सलेक्शन लेने वाले अभ्यर्थी, उनके अभिभावक और संलिप्त अफसरों के खिलाफ रीजनल पार्टी मुकदमे दर्ज कराएगी।