रिपोर्ट -अविकल थपलियाल
देहरादून/हरिद्वार। हरिद्वार नगर निगम के करोड़ों के जमीन घोटाले की हाई प्रोफाइल जांच पूरी हो गयी है। आईएएस रणवीर सिंह चौहान ने गुरुवार को जांच रिपोर्ट सौंप दी।
अब देखना यह है कि वित्तीय अनियमितताओं, प्रशासनिक लापरवाही और भ्रष्टाचार के त्रिकोण के इस घोटाले के दोषियों के खिलाफ धामी सरकार क्या एक्शन लेती है ?
शहरी विकास सचिव नितेश झा को सौंपी गयी रिपोर्ट में तीन बड़े अधिकारियों को प्रथम दृष्टया दोषी पाया गया है।
जांच में यह साफ हो गया कि लगभग 35 बीघा भूमि के लैंड यूज व खरीद में तय नियमों व शर्तों का पालन नहीं किया गया।
जांच रिपोर्ट में हरिद्वार के डीएम कर्मेन्द्र सिंह, तत्कालीन नगर आयुक्त वरुण चौधरी व एसडीएम अजयवीर सिंह को दोषी करार दिया गया है। जांच रिपोर्ट में दोषी अधिकारियों के खिलाफ यथोचित एक्शन लेने की बात कही गयी है।
मौजूदा समय में आईएएस वरुण चौधरी सचिवालय में अपर सचिव स्वास्थ्य की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं।
जांच में यह भी सामने आया कि हरिद्वार नगर निगम ने कुछ करोड़ की कृषि भूमि का लैंड यूज 20 दिन के अंदर कर दिया। कूड़े के ढेर के समीप स्थित इस कृषि भूमि का कामर्शियल भू उपयोग में तब्दील होने पर जमीन की कीमत के दाम उछलकर 55 करोड़ तक पहुंच गए।
इसके बाद अधिकारियों की मिलीभगत के बाद यह जमीन ऊंचे दामों पर खरीद ली गयी। जांच रिपोर्ट में जमीन खरीद के औचित्य पर गहरे सवाल उठाए गए हैं। इसके अलावा भू उपयोग परिवर्तन से सरकारी खजाने में लगी करोड़ों की चपत को भी गम्भीर प्रशासनिक लापरवाही मुद्दा माना गया।
गुरुवार को सौंपी गई रिपोर्ट के बाद अब गेंद शासन के पाले में है। इन तीनों अधिकारियों के खिलाफ सम्बंधित कार्मिक विभाग ही कोई एक्शन लेगा।
इससे पूर्व जांच अधिकारी आईएएस रणवीर सिंह चौहान ने हरिद्वार डीएम कर्मेन्द्र सिंह व पूर्व नगर आयुक्त वरुण चौधरी के बयान दर्ज किये थे और हरिद्वार जाकर अभिलेखों की जांच व मौका मुआयना किया था।
नियमों को ताक पर रखकर करोड़ों की बंदरबांट के इस हैरतअंगेज कारनामे में तत्कालीन एसडीएम अजयवीर सिंह के स्टेनो और डाटा एंट्री ऑपरेटर से भी पूछताछ की गई।
इस हाईप्रोफाइल मामले की जांच को लेकर पूरे प्रदेश में हलचल देखी जा रही है। पूर्व में हुए NH घोटाले में कई अधिकारी गिरफ्तार हुए थे। लेकिन बड़े अधिकारियों को क्लीन चिट मिलने पर कई सवाल उठे थे।
गौरतलब है कि हरिद्वार से जुड़े अधिकारियों ने यह कारनामा नगर निगम भंग होने के समय अंजाम दिया था। बाद में हरिद्वार की मेयर निर्वाचित होने पर किरण जैसल ने इस भूमि खरीद घोटाले की शिकायत सीएम धामी से की। सीएम धामी ने जांच आईएएस अधिकारी रणवीर सिंह को सौंपी।
ऐसे हुई 15 से 54 करोड़ रुपए कीमत
भूमि का लैंड यूज कृषि था। तब उसका सर्किल रेट छह हजार रुपये के आस पास था। यदि भूमि को कृषि भूमि के तौर पर खरीदा जाता, तब उसकी कुल कीमत पंद्रह करोड़ के आस पास होती। लेकिन लैंड यूज चेंज कर खेले गए खेल के बाद भूमि की कीमत 54 करोड़ के आस पास हो गई। खास बात ये है कि अक्टूबर में एसडीएम अजयवीर सिंह ने लैंड यूज बदला और चंद दिनों में ही निगम निगम हरिद्वार ने एग्रीमेंट कर दिया और नवंबर में रजिस्ट्री कर दी।
नगर निगम हरिद्वार ने नवंबर 2024 में सराय कूड़ा निस्तारण केंद्र से सटी 33 बीघा भूमि का क्रय किया था। ये भूमि 54 करोड़ रुपए में खरीदी थी जबकि छह करोड़ रुपए स्टांप ड्यूटी के तौर पर सरकारी खजाने में जमा हुए थे। 2024 में तब नगर प्रशासक आईएएस वरुण चौधरी थे। जमीन खरीद मामले में मेयर किरण जैसल ने सवाल खड़े किए थे। जिसके बाद सीएम पुष्कर सिंह धामी ने इस मामले की जांच सीनियर आईएएस अफसर रणवीर सिंह को सौंपी थी। अब इस मामले में जमीन को बेचने वाले किसान के खातों को फ्रीज करने के आदेश कर दिए गए हैं।
लैंड यूज में खेल
अक्टूबर 2024 में एसडीएम अजयवीर सिंह ने जमीन का लैंड यूज बदला और चंद दिनों में ही नगर निगम ने खरीद का एग्रीमेंट कर लिया। नवंबर में रजिस्ट्री पूरी हो गई। इस तेजी से भी कई सवाल खड़े हुए हैं।