सरकार द्वारा पहली क्लास में प्रवेश के लिए बनाये गए नियमों से बच्चों का भविष्य अधर में लटक गया है।
सामाजिक कार्यकर्ता विनोद जोशी ने बताया कि पहले बच्चों के पहली कक्षा में प्रवेश उम्र 5 बर्ष होती थी लेकिन नियमों में बदलाव और नयी शिक्षा निति लागू करके सरकार ने पहली कक्षा में प्रवेश की उम्र को 6 वर्ष कर दिया और इसका कट ऑफ 31 मार्च कर दिया यानि की पहली कक्षा में प्रवेश लेने वाले बच्चे की उम्र 31 मार्च को 6 वर्ष होना आवश्यक है। इस नियम के लागू होने से उन बच्चों के सामने संकट आ खडा हुआ है जिन्होने अप्रैल माह में जन्म लिया है। मार्च माह में केन्द्रीय विद्यालयों में प्रवेश प्रक्रिया शुरू होती है। निजी स्कूलों में मोटी प्रवेश फीस और हजारो मासिक फीस के चलते हर माता पिता की कोशिश रहती है कि उनके बच्चे को केन्द्रीय विद्यालय में प्रवेश मिल जाये लेकिन अप्रैल माह में जन्में बच्चे प्रवेश से वंचित हो जा रहे हैं। पिछले वर्ष भी जब प्रवेश प्रक्रिया शुरु हुयी थी तब भी ये मामला उठा था तब सुगबुगाहट हुयी थी कि सरकार इस नियम बदलाव कर सकती है और इसी के चलते माता पिता ने अपने बच्चों का प्रवेश फिर से यूकेजी में करा दिया। इस भरोसे पर कि अगले वर्ष सरकार इस नियम में बदलाव कर सकती है। लेकिन एक वर्ष बीत जाने के बाद भी सरकार द्वारा कोई सकारात्मक कदम नही उठाया गया। निजी विद्यालयों में भी ऐसे बच्चों को प्रवेश नही मिल पा रहा है बच्चों को दो बार यूकेजी करना पडा है और इस वर्ष भी प्रवेश नही मिल रहा जिससे इनका भविष्य अधर में लटक गया है ।