देहरादून। उत्तराखंड शिक्षा विभाग में आरक्षण के आधार पर चयन पाने वाले अभ्यर्थियों को तगड़ा झटका लगने जा रहा है। दरअसल प्राथमिक शिक्षा में सहायक अध्यापक के तौर पर चयनित होने वाले ऐसे अभ्यर्थियों को जांच का सामना करना पड़ेगा, जिन्होंने उत्तराखंड राज्य में विवाह के बाद आरक्षण से जुड़े प्रमाण पत्र बनवाए और इसी आधार पर भर्ती प्रक्रिया में आरक्षण लिया। खास बात यह है कि अब शासन ने शिक्षा निदेशालय को आरक्षण से जुड़े नियमों को लेकर पत्र लिखा है, जिसमें इस तरह के अभ्यर्थियों को आरक्षण का लाभ नहीं दिए जाने की बात कही गई है।
उत्तराखंड में प्राथमिक शिक्षा के अंतर्गत सहायक अध्यापक पद के लिए भर्ती प्रक्रिया गतिमान है। दरअसल राज्य में 2906 पदों के लिए शिक्षकों की भर्ती चल रही है। लेकिन परेशानी ऐसे अभ्यर्थियों को लेकर दिखाई देने लगी है, जिन्होंने दूसरे राज्य का होने के बावजूद उत्तराखंड में इन पदों के लिए आवेदन किया और इसके बाद इनका चयन भी हो गया। खास बात यह है कि यह वो महिला अभ्यर्थी हैं, जिन्होंने उत्तराखंड के निवासी से विवाह करने के बाद उत्तराखंड में ही आरक्षण और स्थाई निवास से जुड़े प्रमाण पत्र बनवा लिए। इसी आधार पर शिक्षा विभाग में भर्ती प्रक्रिया में शामिल होकर चयन भी पा लिया।
जांच के दायरे में 54 महिला अभ्यर्थी
उत्तराखंड में प्राथमिक शिक्षा के अंतर्गत सहायक अध्यापक पद के लिए हो रही भर्ती में ऐसी करीब 54 महिला अभ्यर्थी चयनित की गई हैं, जो अब जांच के दायरे में आ गई हैं। बड़ी बात यह है कि शासन के निर्देशों के बाद अब जिलाधिकारी के स्तर पर बनाए गए ऐसे आरक्षण से जुड़े प्रमाण पत्रों की जांच भी की जाएगी। जिलों के जिलाधिकारी अब इन प्रमाण पत्रों की जांच करेंगे और इन प्रमाण पत्रों की वैधता को भी देखा जाएगा।
शासन ने जारी किया पत्र: प्राथमिक शिक्षा में अपर निदेशक आरएल आर्य के मुताबिक शासन द्वारा शिक्षा निदेशालय को निर्देश जारी कर दिए गए हैं। जिसमें समाज कल्याण विभाग, कार्मिक विभाग और न्याय विभाग के परामर्श के आधार पर शासन ने प्रदेश में विवाह करने के बाद प्रमाण पत्र बनाने वाली महिला अभ्यर्थियों को आरक्षण नहीं दिए जाने से जुड़ा पत्र जारी कर दिया है।