देहरादून। इस बार भी कैबिनेट बैठक में अतिथि शिक्षकों की मांगों पर कोई विचार न किए जाने से अतिथि शिक्षक संघ नाराज है। बीते 2 अगस्त से प्रदेश भर के अतिथि शिक्षकों ने ननूरखेड़ा स्थित शिक्षा निदेशालय में धरना प्रदर्शन किया था। इसके बाद बीते 14 अगस्त को शिक्षा मंत्री धन सिंह रावत के आवास पर अतिथि शिक्षक संघ के पदाधिकारियों की मंत्री महोदय के साथ बैठक भी हुई थी। बैठक में शिक्षा मंत्री धन सिंह रावत ने गेस्ट टीचरों को आश्वासन दिया था कि अगली या दूसरी कैबिनेट बैठक में उनकी मांगों को कैबिनेट के सम्मुख रखा जाएगा। साथ ही उन्होंने यह भी आश्वासन दिया था कि 40 दिन के भीतर उनके मानदेय वृद्धि और 60 दिन के भीतर अतिथि शिक्षकों के सुरक्षित भविष्य की नीव रखी जाएगी। इसके बाद अतिथि शिक्षकों ने अपना आंदोलन स्थगित कर दिया था। लेकिन दो माह से अधिक समय बीत जाने के बाद और तीन कैबिनेट बैठकों के बाद भी अभी तक अतिथि शिक्षकों की मांगों पर अमल नहीं किया गया। जिसको लेकर अतिथि शिक्षक संघ में खासा आक्रोश है।
संघ के प्रदेश अध्यक्ष अभिषेक भट्ट और रुद्रप्रयाग जनपद के जिला अध्यक्ष प्रवीण जोशी ने सरकार पर अनदेखी का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि न्यूनतम मानदेय में अतिथि शिक्षक अध्यापन का कार्य कर रहे हैं। लेकिन स्थाई शिक्षक के आते ही अतिथि शिक्षकों को विद्यालय से अन्य विद्यालय भेज दिया जाता है। जिस कारण वह बोरिया बिस्तर ढोने पर मजबूर हैं। उन्होंने एक स्वर में चेतावनी दी है कि यदि अति शीघ्र अतिथि शिक्षकों की मांगों पर अमल नहीं किया जाता है तो इसका खामियाजा सरकार को आगामी चुनाव में भुगतना पड़ सकता है। शिक्षा मंत्री के कोरे आश्वासन अतिथि शिक्षक संघ और बर्दाश्त नहीं करेगा।
इन मांगों को लेकर आंदोलनरत हैं अतिथि शक्षक
1- अतिथि शिक्षकों के पदों को सुरक्षित करना।
2- 40000 वेतन।
3- जनपद में पद रिक्त होने पर गृह जनपद वापसी।
4- पिछले डेढ़ साल से बाहर चल रहे व्यायाम शिक्षकों को पद सृजित कर समायोजित करना
5- दीर्घवकाश के मानदेय विसंगति दूर करना।
6- चिकित्सा अवकाश
हालांकि शिक्षा मंत्री ने अतिथि शिक्षकों की इन मांगों को पूरा करने का आश्वासन दिया था। लेकिन अब अतिथि शिक्षक खुद को ठगा महसूस कर रहे हैं।