उत्तराखंड में अब कड़ाके ने अब दस्तक दे दी है। आने वाले कुछ दिनों में पहाड़ों का तापमान माइनस में पहुंच जाएगा। सुबह शाम पड़ रही ठंड से बचने के लिए लोगों ने अलाव का सहारा लेना शुरू कर दिया है, तो दिन के समय धूप सेंक रहे है। दूसरी तरफ मैदानी क्षेत्रों में कोहरा पड़ने से से विजिबिलिटी कम हो गई है। जिसके चलते वाहन सुबह और शाम के समय लाइट जलाकर चल रहे हैं। वाहन चालकों को विजिबिलिटी कम होने से काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। प्रदेश के उत्तरकाशी, रुद्रप्रयाग, चमोली, बागेश्वर और पिथौरागढ़ जिलों के कुछ क्षेत्रों में हल्की बारिश होने की संभावना है। जबकि, तीन हजार मीटर से अधिक ऊंचाई वाले इलाकों में बर्फबारी हो सकती है। इसका असर मैदानी क्षेत्रों में भी पड़ेगा। यहां तापमान में गिरावट आने से ठंड बढ़ सकती है।
उत्तराखंड मौसम विभाग के निदेशक विक्रम सिंह द्वारा बताया गया है कि इस वर्ष अक्टूबर से लेकर अभी तक 34 प्रतिशत कम बारिश हुई है। उन्होंने बताया कि प्रदेश के मैदानी में कोहरा छाया रहेगा। आने वाले समय में फिलहाल घने कोहरे के आसार कम है, क्योंकि जब तक मजबूत पश्चिमी विक्षोभ का असर देखने को नहीं मिलेगा, तब तक घने कोहरे की संभावना कम है। मौसम वैज्ञानिकों का मानना है कि पिछले साल भी विंटर बारिश न होने की वजह से पर्वतीय जिलों में नवंबर व दिसंबर में बहुत कम बर्फबारी देखने को मिली थी। 12 दिसंबर को अगर पर्वतीय जिलों में विंटर बारिश के अच्छे आंकड़े दर्ज किए गए तो यह बर्फबारी के लिए अच्छा होगा। इससे ग्लेशियर रीचार्ज होने के साथ नदियों का जलस्तर भी बढ़ेगा। उसका सीधा असर आने वाले दिनों के तापमान पर पड़ेगा।