राजधानी देहरादून अधिकारियों की अज्ञानता के कारण यातायात व्यवस्था चरमरा गई है जिसकी वजह से आम जनता को रोजाना परेशानियों का सामना करना पड़ता है। अधिकारी शहर के बारे में जाने बगैर फरमान जारी कर देते हैं जोकि जनता के जी का जंजाल बन जाता है। राज्य निर्माण के बाद देहरादून के राज्य की राजधानी बनाने की घोषणा के बाद से ही यहां की आम जनता को जाम के झाम से दो चार होना पड रहा है। यहां पर जो भी अधिकारी आया उसके सामने शहर की यातायात व्यवस्था एक चुनौती की तरह सामने खडी दिखायी देती है और इस समस्या से निपटने के लिए वह इस शहर की संरचना को जाने बगैर अपना फरमान जारी कर देते हैं। जो जनता के लिए और मुसीबत खड़ी कर देता है। कभी कोई अधिकारी कहता है कि सडकों पर रस्सी लगाकर यातायात को डायवर्ड करो। तो कोई लोगों को जागरूक करने के लिए यातायात कार्यालय पर पार्क बनाकर पढाता दिखायी देता है। यहां तक कि यातायात पर फिल्म बनाकर उसको यातायात कार्यालय में लोगों व स्कूली बच्चों को दिखाकर यातायात का पाठ भी पढाया गया। परंतु नतीजा क्या निकला, सिफर ? यातायात की समस्या ज्यों की त्यों ही बनीं रही। हद तो तब हो जाती है जब कोई अधिकारी स्कूली बच्चों को चौराहे पर लाकर उनसे यातायात सुचारू कराने का प्रयास करता है तो कोई फूल बांटकर यातायात व्यवस्था को पटरी पर लाने की बचकानी हरकत करते हुए दिखायी देते हैं।
यदि इन बातों से यातायात व्यवस्था पटरी पर आती होती तो यह समस्या कभी की दूर हो चुकी होती। यदि किसी अधिकारी ने धरातल पर उतरकर देहरादून शहर की यातायात व्यवस्था को समझने की कोशिश की होती तो शायद किसी हद तक यहां की यातायात व्यवस्था ठीक हो गई होती।अब एक नये साहब आये हैं यातायात व्यवस्था को सुधारने के लिए। यह साहब कहते हैं कि यातायात व्यवस्था सुधारने के लिए नो पर्किग में खडे वाहनों पर क्लीप लगाकर चालान करने से इस समस्या से निजात मिल सकती है। समझ में नहीं आता कि वाहनों पर क्लीप लगाकर और जुर्माना वसूल करने से शहर की यातायात व्यवस्था कैसे सुधरेगी। ऐसे अज्ञानता भरे काम करने से यह अधिकारी जनता के बीच अपना मजाक ही उठवाएंगे। इन साहब को कौन समझाए कि नो पार्किंग में खड़े वाहन को क्लीप लगा दिया तो वह तो वहीं खडा रह जायेगा जिससे और जाम की स्थिति बनेगी। अगर वाहन स्वामी कहीं दूर हुआ तो उसके लिए तो यह ओर सुरक्षित काम हो जायेगा। यह तो बहुत ही आसान काम जनता के लिए किया जा रहा है। वाहन स्वामी को अपने वाहन के चोरी होने का भी कोई खतरा नही क्योंकि वाहन पर तो पुलिस ने क्लीप लगा दिया है और दो घंटे बाद आकर पांच सौ रूपये देकर वह अपना वाहन छुडाकर ले जायेगा। पांच सौ रूपये में उसका वाहन तो सुरक्षित मिला तो उसको पांच सौ रूपये का भी कोई दुख नहीं होता। साहब धरातल पर आ जाओ हवा हवाई से कोई फायदा नही।