बागेश्वर से मिली जानकारी के अनुसार आस्था के केंद्र महाकाली मंदिर और आबादी क्षेत्र में सरकार द्वारा खनन की अनुमति से खदान के कारण पैदा हुए खतरे की अनदेखी को लेकर ग्रामीण धरना प्रदर्शन करने को मजबूर हो गए हैं।मामले की गंभीरता देख पूर्व विधायक ललित फरसवाण भी मौके पर पहुंचे और आबादी के मकानों में दरारों का निरीक्षण किया जिसके बाद उन्हें जिला परिषद को शीघ्र मामले को संज्ञान में लेकर उचित कार्रवाई करने की मांग की। क्षेत्रवासियों का कहना है कि अगर मामले को जल्द नहीं सुलझाया गया तो वह माननीय उच्च न्यायालय में जनहित याचिका डालने पर मजबूर होंगे।
कांडा के महाकाली मंदिर और आबादी के पास खड़िया खदान को मंजूरी देने का दंश क्षेत्र के लोग भुगत रहे हैं। ठंडे कल्याण निवासी ममता देवी ने बताया कि खड़िया खनन जमीन धंस रही है जिससे उनके मकान में ही बड़ी-बड़ी दरारें आ गई है,दुकान में भी दरार आ गई है मकान का पक्का फर्श भी बैठ गया है उन्होंने कहा कि प्रशासन के लोग यहां आते तो है पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं करते हैं।
उधर प्रशासन का कहना है कि ऐसा सिर्फ बारिश के कारण हो रहा है। जबकि वास्तविक रूप से यह दरारें खड़िया खनन कार्य से आई हुई है। इधर महाकाली मंदिर के प्रधान सेवक अर्जुन सिंह माजिला का कहना है कि खड़िया खनन के कारण आठवीं सदी में आदि गुरु शंकराचार्य के हाथों स्थापित मंदिर पर गंभीर खतरा मंडरा गया है। उन्होंने कहा कि मंदिर और आबादी के पास कैसे खड़िया खनन का पट्टा जारी कर दिया गया। इसकी जांच होनी चाहिए। खड़िया खनन का पट्टा निरस्त होना चाहिए। कुछ दिन पूर्व जिलाधिकारी पाल अपने टीम के साथ मौके पर पहुंची। उन्होंने क्षेत्र का निरीक्षण करते हुए खड़िया माइंस के जेसीपी मशीन पर रोक लगा दी है। वही मंदिर आदि स्थलों की ओर कार्य न करने के कड़े निर्देश दिए गए हैं।