दशकों से भारतीय सेना के अभिन्न अंग रहे नेपाल के गोरखा अब भारतीय सेना में अपनी सेवा नहीं दे पाएंगे। अब भारतीय सेना में नेपाली गोरखाओं की भर्ती रुक गई है, इसकी मुख्य वजह भारतीय सेना की नई योजना अग्नीपथ के तहत भर्ती है।
भारतीय सेना के तीनों अंगों में अब अग्नीपथ योजना के नियमों के तहत भर्तियां की जा रही हैं। जिनमें युवाओं को सिर्फ 4 साल के लिए सेना में शामिल करने का प्रावधान है। नेपाल अभी भी चाहता है कि गोरखाओं की भर्ती पुरानी योजना के अनुरूप ही हो। इसी मुद्दे पर पेज फंसा हुआ है और नेपाल के नाराज होने के बाद पिछले साल वहां होने वाली सेना भर्ती रैली भी रद्द कर दी गई थी।उसके बाद से भारतीय सेना ने नेपाल में कोई सेना भर्ती रैली आयोजित नहीं की है।
भारत में नेपाल के राजदूत शंकर प्रसाद शर्मा ने कहा कि नेपाल से गोरखाओं की अग्निपथ योजना के तहत भारतीय सेना में नेपाली गोरखाओं की भर्तियों को ‘रोक’ दिया गया है, लेकिन अभी मामला समाप्त नहीं हुआ है। नेपाली राजदूत ने कहा कि फिलहाल दोनों देशों की सरकारों के बीच इस मुद्दे पर कोई ‘गंभीर बातचीत’ नहीं हो रही है फिर भी उन्होंने कहा कि “मुझे नहीं लगता कि यह मामला बंद हो गया है। भारत ने अग्निपथ पर कोई तंत्र विकसित किया है और नेपाल से भर्ती के लिए उसी तंत्र का इस्तेमाल करना चाहेगा। परंतु नेपाल पुरानी प्रणाली ही चाहता है।
बताते चलें कि दें कि भारतीय सेना में नेपाली गोरखा बेहद अहम भूमिका निभाते रहे हैं। नेपाल में गोरखा युवाओं की भारतीय सेना के लिए भर्ती का कार्य उत्तर प्रदेश के गोरखपुर स्थित ‘गोरखा रिक्रूटमेंट डिपो’ करता है। पिछले साल नेपाल के बुटवल में 25 अगस्त से 7 सितंबर 2022 तक भारतीय सेना के लिए नेपाली गोरखा सैनिकों की भर्ती होनी थी। यह सेना भर्ती की नई योजना अग्निपथ के तहत होनी थी। लेकिन नेपाल को भारत सरकार की अग्निपथ योजना को लेकर असमंजस के कारण यह भर्ती टालनी पड़ी थी। भारतीय सेना में नेपाली गोरखाओं की भर्ती 1947 में भारत, नेपाल और ब्रिटेन के बीच हुई त्रिपक्षीय संधि के तहत होती रही है। तब से अब तक इस भर्ती में कभी कोई व्यवधान नहीं आया था और नेपाली गोरखा भारतीय सेना में अपनी सेवा देते रहे हैं। 14 जून 2022 को भारत सरकार ने एक अहम घोषणा करते हुए अग्निपथ योजना के बारे में बताया था। इसके अनुसार 17 से 21 साल के युवाओं को अग्निवीर के रूप में केवल 4 साल के लिए चुना जाएगा। बाद में इन युवाओं में से 25 प्रतिशत को प्रदर्शन के आधार पर नियमित किया जाएगा। इस योजना को लेकर नेपाल सरकार की चिंता है कि चार साल भारतीय सेना में रहने के बाद जो नौजवान वापस आएंगे, वे क्या करेंगे? वे फौज की आधुनिक ट्रेनिंग लेकर आएंगे और ऐसे में इस बात की आशंका रहेगी कि उनकी ट्रेनिंग का कोई दुरुपयोग ना कर ले।