उत्तराखंड में रजिस्ट्रियों कार्यालयों में जालसाजी करके धोखाधड़ी के मामलों की खबरें अक्सर सुनने में आती रहती हैं। इसी के मद्देनजर सरकार ने सब रजिस्ट्रार कार्यालयों में रजिस्ट्रियों में गड़बड़ी और जालसाजी की जांच के लिए एसआईटी का गठन किया है।सेवानिवृत्त आईएएस सुरेंद्र सिंह रावत को इसका अध्यक्ष और तीन अन्य सदस्य इस एसआईटी के सदस्य होंगे। पुलिस की ओर से डीआईजी लॉ एंड ऑर्डर पी रेणुका देवी और निबंधन की ओर से एआईजी स्टांप अतुल कुमार शर्मा को बतौर सदस्य इस एसआईटी में शामिल किया गया है। वित्त विभाग द्वारा मंगलवार को इस संबंध में आदेश जारी कर दिया गया हैं। इस एआईटी में विशेष सदस्य शामिल किए जा सकते हैं।
जिलाधिकारी देहरादून को कुछ दिनों से रजिस्ट्री कार्यालय में गड़बड़ी की सूचना मिल रही थी, जिसके क्रम में जनसुनवाई कार्यक्रम में पूर्व आईएएस प्रेमलाल से संबंधित भूमि की शिकायत से मामला सामने आया था कि रानीपोखरी क्षेत्र में 60 बीघा जमीन को फर्जीवाड़ा कर दूसरे लोगों के नाम किया गया था। इसमें पीलीभीत के दो लोगों के नाम सामने आए थे। जिलाधिकारी द्वारा तीन और मामलों की जांच कराई तो उनमें भी इसी तरह की गड़बड़ी सामने आई। पता चला कि भू-माफिया द्वारा अधिकारियों और कर्मचारियों के साथ मिलीभगत करके रजिस्ट्रार कार्यालय में रखी जिल्दों में से पुरानी रजिस्ट्री के कागज फाड़कर उनके स्थान पर फर्जी कागजात लगा दिए गए हैं।
इस तरह भूमि को बेचने, दान करने वाले लोगों का भी ब्योरा बदला गया है। प्राप्त जानकारी के अनुसार यह सब 1978 से 1990 के बीच हुई रजिस्ट्रियों में किया गया है। पिछले दिनों जिलाधिकारी के आदेश पर शहर कोतवाली में एक मुकदमा अज्ञात लोगों के खिलाफ दर्ज किया गया। इसी बीच मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने रजिस्ट्री कार्यालय का निरीक्षण किया और इस मामले की जांच, मुकदमे की विवेचना की निगरानी के लिए सीएम धामी ने एसआईटी गठित करने के आदेश दिए थे। इसी क्रम में वित्त सचिव दिलीप जावलकर द्वारा एसआईटी के गठन के आदेश जारी किए गए हैं।
पूर्व आईएएस सुरेंद्र सिंह रावत इससे पहले भी कई महत्वपूर्ण जांचों में शामिल रहे हैं, और डीआईजी पी रेणुका देवी इससे पहले अंकिता हत्याकांड जैसे कई मामलों में एसआईटी प्रभारी रहीं हैं। वह वर्तमान में पूर्व डीजीपी बीएस सिद्धू के खिलाफ भी मुकदमे की जांच के लिए बनी एसआईटी की अध्यक्ष हैं।
बनायी गई एसआईटी का कार्यक्षेत्र:
1- रिकॉर्ड रूम और रजिस्ट्री कार्यालय के सभी
दस्तावेज की समयबद्ध और गहन जांच करना ।
2- फर्जीवाड़े में दोषी कर्मचारियों को चिह्नित कर
उनका उत्तरदायित्व निर्धारित करना।
3- भविष्य में इस तरह के फर्जीवाड़ों की पुनरावृत्ति न होने पाएं इस संबंध में भी शासन को सुझाव देना ।
4- वर्तमान में चल रही पुलिस विवेचना व भविष्य में आपराधिक जांच शुरू होने की स्थिति की निगरानी भी की जाएगी।
5- इस एसआईटी का कार्यकाल चार माह रहेगा, जिसे समय-समय पर बढ़ाया जा सकता है।