उत्तरकाशी जनपद में पंचायत उपचुनाव में एक अनोखा उदाहरण सामने आया है। मोरी विकासखंड के धारगांव ग्राम पंचायत में 21 वर्षीया शिवानी का निर्विरोध प्रधान चुना जाना स्थानीय राजनीति में चर्चा का विषय बना हुआ है। महज 21 साल की उम्र में पंचायत की कमान संभालने जा रहीं शिवानी की नामांकन प्रक्रिया भी उतनी ही दिलचस्प रही, जिसने ग्रामीणों का ध्यान अपनी ओर खींचा।
धारगांव में प्रधान पद के लिए उपचुनाव की घोषणा के बाद कई संभावित उम्मीदवारों के नाम सामने आए थे, लेकिन अंतिम दिन शिवानी के अलावा किसी ने भी नामांकन दाखिल नहीं किया। ग्रामीणों के बीच व्यापक समर्थन और परिवार की सक्रिय भूमिका के चलते शिवानी का नामांकन ही एकमात्र दावेदार बनकर रह गया। निर्वाचन अधिकारियों ने उनके कागजातों की जांच के बाद उन्हें निर्विरोध विजयी घोषित कर दिया।
चुनाव अधिकारी बताते हैं कि शिवानी का नामांकन दाखिल करने की पूरी प्रक्रिया बेहद अनूठी रही। बताया जा रहा है कि प्रारंभिक चरण में शिवानी स्वयं उम्मीदवार बनने के लिए आगे नहीं आई थीं। ग्रामीणों की पहल पर पहले उनके परिवार से संपर्क किया गया, जिसके बाद पंचायत के वरिष्ठ सदस्यों ने उन्हें चुनाव लड़ने के लिए प्रेरित किया। अंतिम दिन निर्धारित समय से कुछ घंटे पहले शिवानी ने नामांकन पत्र भरा और बड़ी संख्या में महिलाएं व युवा उनके समर्थन में कार्यालय पहुंचे।
ग्रामीणों का कहना है कि शिवानी की विनम्र छवि, शिक्षा के प्रति रुचि और ग्रामीण विकास को लेकर उनका दृष्टिकोण लोगों को प्रभावित कर गया। परिणामस्वरूप किसी भी अन्य उम्मीदवार ने उनके सामने नामांकन दाखिल करने का फैसला नहीं किया।
शिवानी के निर्विरोध चुन लिए जाने को गांव में युवा नेतृत्व के प्रति बढ़ते भरोसे के रूप में देखा जा रहा है। गांव के बुजुर्गों से लेकर युवाओं तक, सभी ने आशा व्यक्त की है कि शिवानी पारदर्शी विकास और महिलाओं की भागीदारी को बढ़ावा देंगी। ग्राम पंचायत में शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क और पेयजल जैसी मूलभूत सुविधाओं के सुधार को लेकर लोगों की अपेक्षाएँ उनसे जुड़ गई हैं।
विजय की घोषणा होने के बाद शिवानी के परिवार में खुशी का माहौल है। गांव की महिलाओं ने ढोल-दमाऊ की थाप पर नृत्य कर अपनी प्रसन्नता व्यक्त की। ग्रामीणों ने कहा कि युवा और ऊर्जावान नेतृत्व से उन्हें नई दिशा मिलने की उम्मीद है।
धारगांव पंचायत का यह उपचुनाव अब सिर्फ एक निर्वाचन घटना नहीं रह गया है, बल्कि ग्रामीण राजनीति में नई पीढ़ी के उभार का प्रतीक बन गया है। शिवानी के सामने अब गांव के विकास की बड़ी जिम्मेदारी है, जिसकी ओर सभी की निगाहें टिकी हुई हैं।








