ऋषिकेश। भ्रष्टाचार का गढ़ बन चुका अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान ऋषिकेश अब सीबीआई के शिकंजे पर है।
मुजफ्फरनगर निवासी और महा भ्रष्ट पूर्व एम्स निदेशक प्रोफेसर रविकांत पर मुकदमे की तलवार लटक चुकी है।

एम्स ऋषिकेश में पूर्व निदेशक डॉ. रवि कांत के कार्यकाल (2012-2020) के दौरान भर्ती, खरीद और ठेकों में गड़बड़ियों की शिकायतें लगातार सामने आईं हैं। यह पूरा घोटाला 2 करोड़ 70 लाख रुपए से अधिक का है।
सीबीआई देहरादून शाखा में पिछले चार साल में यह चौथा मुकदमा दर्ज किया है। 2022 में सीबीआई ने दो एफआईआर दर्ज की। पहली चिकित्सा उपकरणों की खरीद घपले की थी।
जिसमें पूर्व एडिशनल प्रोफेसर डॉ. बलराम जी ओमर, डॉ. ब्रिजेंद्र सिंह, डॉ. अनुभा अग्रवाल, शशि कांत, दीपक जोशी और कंपनी मालिक पुनीत शर्मा आरोपी बने। दूसरी एफआईआर संस्थान में केमिस्ट शॉप के आवंटन में धांधली की थी। इसमें भी कई आरोपी बने। अगस्त 2023 उपकरणों की खरीद में एम्स ऋषिकेश को छह करोड़ से अधिक का नुकसान पहुंचाने पर सीबीआई ने सात नामजद सहित एक अज्ञात के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया है। आरोपियों में एम्स के एडिशनल प्रोफेसर डा. बलराम जी उमर का नाम भी शामिल रहा। कुछ मामलों में सीबीआई जांच के बाद न्यायालय में चार्जशीट भी फाइल हो चुकी है। अब चौथा केस दर्ज किया गया है। उल्लेखनीय है कि एम्स ऋषिकेश में पूर्व निदेशक डॉ. रवि कांत के कार्यकाल के दौरान कई निर्माण सामग्री से लेकर टेंडरों तक तमाम गड़बड़ियां सामने आ चुकी हैं।
डॉ. रवि कांत और डॉ. पसरीचा लोकसेवक होने के कारण भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 17 ए के तहत केस दर्ज करने के लिए स्वास्थ्य मंत्रालय से अनुमति ली गई है। कंपनी के मालिक पुनीत शर्मा की मौत हो चुकी है। डॉ. रविकांत और डॉ. पसरीचा दोनों एम्स छोड़ चुके हैं। सीबीआई ने डीएसपी सुभाष चंदर को जांच अधिकारी नियुक्त किया है। मामले में आईपीसी की धारा 120बी (साजिश), 201 (साक्ष्य नष्ट), 409 (विश्वासघात), 420 (धोखाधड़ी) और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 7 के तहत मामला दर्ज किया गया है।
ऐसे में एम्स के पूर्व निदेशक डॉ रविकांत और उनके सहयोगियों पर सीबीआई का शिकंजा कसना तय है।