दून में एक बिल्डर पर बड़ी कार्रवाई की गई है। करोड़ों रुपए के विला बनाने के बाद भी वहां के निवासियों के लिए सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) की व्यवस्था न करने पर सेरेन ग्रीन्स परियोजना के बिल्डर पर 69 लाख रुपए का जुर्माना लगाया गया है। यह कार्रवाई उत्तराखंड पर्यावरण संरक्षण एवं प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने की। क्योंकि, एसटीपी न होने की दशा में सीवर का गंदा पानी खुले में छोड़ा जा रहा था।
बंशीवाला में सेरेन ग्रीन्स की 65 विला की आवासीय परियोजना का निर्माण वर्ष 2013 में शुरू किया गया था। हालांकि, परियोजना ने वर्ष 2016 में आकार लेना शुरू किया और वर्ष 2019-20 में परियोजना का निर्माण पूरा किया गया। इसके बाद भी इतनी बड़ी आवासीय परियोजना में सीवर के निस्तारण के लिए एसटीपी का निर्माण नहीं किया जा सका।
खुले में सीवर का गंदा पानी बहाने पर सेरेन ग्रीन्स वेलफेयर सोसाइटी ने एमडीडीए से लेकर जिला प्रशासन और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड में शिकायत दर्ज कराई थी। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने मौके पर जाकर गंदे पानी के सैंपल लिए और शिकायत सही पाए जाने पर अब पर्यावरण को पहुंचाई गई क्षति का आकलन करते हुए 69.12 लाख रुपये का जुर्माना लगा दिया। पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने की दिशा में यह बड़ी कार्रवाई है।
कागजों में बढ़ाई सड़क की चौड़ाई, 8 मंजिला भवन का निर्माण शुरू
जैमिनी पैकटेक प्रा. लि. की सेरेन ग्रीन्स परियोजना से जुड़े अन्य भूखंड पर एक अन्य 8 मंजिला आवासीय परियोजना का भी निर्माण किया जा रहा है। यहां बिल्डर ने धोखाधड़ी कर गलत तथ्य पेश करते हुए 7.5 और 9 मीटर चौड़े मार्गों को 12 मीटर दर्शाकर नक्शा पास करा दिया। इसकी शिकायत भी विला में रह गए व्यक्तियों ने दर्ज कराई थी।
जिसका संज्ञान लेकर एमडीडीए उपाध्यक्ष बंशीधर तिवारी ने 2 सहायक अभियंता और 2 अवर अभियंता की कमेटी को जांच सौंपी थी। अब जांच कमिटी ने अपनी रिपोर्ट में इस गड़बड़झाले को उजागर कर दिया। जिसके बाद वाद के समाधान तक निर्माण पर रोक लगा दी गई थी। हालांकि, मौके पर निर्माण जारी है और नक्शे में दर्शाए गए ग्रीन स्पेस के साथ ही छेड़छाड़ की गई है।