विगत दिनों औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय भरसार में हुए एसोसिएट प्रोफेसर और एसिस्टेंट प्रोफेसर के पदों पर हुई भर्तियों पर भी भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगे,जिसमें विश्वविद्यालय द्वारा रोस्टर बदलकर अपने चहेतों को नौकरी देने का मुद्दा पर्वतीय कृषक कृषि बागवान और उद्यमी संगठन तथा अन्य संगठनों ने जोरों से उठाया था।भ्रष्टाचार की शिकायत जब सामाजिक कार्यकर्ता दीपक करगेती की ओर से राज्यपाल उत्तराखंड के पास पहुंची तो उन्होंने पूरे भर्ती घोटाले की जांच वित्त नियंत्रक प्रवीण कुमार बड़ौनी को सौंपते हुए आदेशित किया कि 15 दिन के भीतर समस्त जांच कर संपूर्ण कार्यवाही से सचिव राज्यपाल ,शिकायतकर्ता और शासन को प्रेषित करें,लेकिन आदेश होने के महीने भर तक जांच का कोई पता नहीं चला।
लेकिन अब वित्त नियंत्रक बड़ोनी ने सचिव कृषि एवं कृषक कल्याण को पत्र के माध्यम से अवगत कराया है कि विश्वविद्यालय के निदेशक शोध तथा मुख्य कार्मिक अधिकारी ने 20 दिन तक जांच से संबंधित मांगे गए दस्तावेज उपलब्ध ही नहीं कराए गए और जब विश्वविद्यालय को पुनः पत्राचार किया गया तो दोनों अधिकारियों ने जांच अधिकारी को।मौखिक में बताया कि कुलपति भरसार ने जांच संबंधी मांगे गए कोई भी दस्तावेज देने से मना किया है। वित्त नियंत्रक ने शासन के नियमों का हवाला देते हुए विश्वविद्यालय को अनुस्मारक भी भेजे हैं लेकिन विश्वविद्यालय जांच में किसी भी प्रकार से सहयोग देने को तैयार नहीं है।
इससे यह तो स्पष्ट हो गया कि यहां पूरी दाल ही काली है और विश्विद्यालय के कुलपति पर शासन और राज्यपाल के आदेशों का कोई असर नहीं पड़ता है।
सामाजिक कार्यकर्ता दीपक करगेती ने कहा कि कुलपति को भ्रष्टाचार में कृषि मंत्री का संरक्षण प्राप्त है जिसके कारण भरसार विश्वविद्यालय लगातार भर्ती घोटाले कर रहा है।
सरकार ने समस्त भर्ती प्रक्रिया की उच्च स्तरीय जांच एसआईटी से करानी चाहिए कई लोग इस घोटाले में सलाखों के भीतर जाएंगे।