हाल ही में आयुर्वेद विभाग द्वारा चिकित्सा अधिकारियों के कुछ दिन पहले किए गए तबादले आजकल चर्चाओं में बने हुए हैं।
किसी भी सरकारी कर्मचारी ट्रांसफर के सम्बन्ध में सम्बंधित धारा एवं स्थानान्तरण प्रकिया को उल्लेखित करने के साथ-साथ ही ट्रांसफर आदेश दिए जाने के पश्चात् उसे उत्तराखंड की वेबसाइट पर भी प्रदर्शित किया जाना आवश्यक होता है। लेकिन आयुर्वेद विभाग ने ताजा ट्रांसफर किस नियम या धारा के तहत किये गए, इसका कहीं कोई उल्लेख नहीं है।
यदि यह ट्रांसफर अनिवार्य, अनुरोध या फिर धारा 27 के तहत किये गए तो तबादला आदेश में इसका उल्लेख होना चाहिए था। यह अलग बात है कि ट्रांसफर आदेश में यह जरूर लिखा गया है कि 5 जनवरी 2018 के प्रावधानों के अनुरूप ट्रांसफर किये गए हैं।इसका उदाहरण है हाल ही में एक के बाद एक जारी आयुर्वेद चिकित्सा अधिकारियों की दो स्थानांतरण आदेश । एक स्थानांतरण आदेश 3 अगस्त को जारी किया जाता है,तो दूसरा स्थानांतरण आदेश 23 अगस्त 2023 को जारी किया जाता है। देखें सूची
पहले वाले ट्रांसफर आदेश में डॉ० सिद्धी मिश्रा(पूर्व आयुर्वेद निदेशक डॉ० पूजा भारद्वाज की पुत्रवधु) दुर्गम में तैनाती आदेश के बावजूद 31 अगस्त 2013 से 12 अप्रैल 2017 एवं 19 अप्रैल 2017 से 11 जनवरी 2023 तक सुगम इलाके में लगभग नौ साल तक संबद्ध रहीं।
सम्बद्धता समाप्त होने के केवल कुछ माह ही वह अपनी मूल नियुक्ति पर गयी । परंतु उसके तुरंत बाद फिर सुगम में उनका ट्रांसफर कर दिया गया । जबकि नियम कहता है कि न्यूनतम 3 वर्षों की अनिवार्य दुर्गम सेवा के बाद ही सुगम में ट्रांसफर किया जा सकता है। इसके अलावा नियम कहता है कि दुर्गम से सुगम में जाने वाले पात्र कार्मिकों से 10 विकल्प मांगकर पात्र कार्मिकों की सूची एवं रिक्त पदों का विवरण वेबसाइट पर डालना भी आवश्यक है। लेकिन यहां अपात्र कार्मिकों के स्थानान्तरण भी कर दिए गए हैं। दोनों ट्रांसफर आदेशों में नियमित आयुर्वेदिक चिकित्साधिकारियों के ट्रांसफर मेडिकल आफिसर सामुदायिक स्वास्थ्य (MOCH) के पदों पर PHC/CHC छिद्दरवाला, नेहरूग्राम, मेवाला देहरादून आदि में कर दिए गए हैं। ऐसा ही अन्य जिलों में भी किया गया है। जबकि शासन द्वारा MOCH को मृत संवर्ग (Dead Cadre ) घोषित किया जा चुका है और उसमें भी शासन द्वारा ट्रांसफर कर दिए गए हैं।यह भी विचारणीय है कि जो पद ही समाप्त हो चुका उस पर ट्रांसफर कैसे किया जा सकता है।लेकिन ऐसा चमत्कार आयुष विभाग में हुआ है। नौकरशाहों ने ये कारनामा भी करके दिखा दिया है। इससे बड़ा भ्रष्टाचार का जीता जागता उदाहरण ओर क्या हो सकता है। क्या धामी सरकार की भ्रष्टाचार विरोधी मुहिम को नौकरशाह क्या चूना लगाते हुए मुख्यमंत्री की आंखों में धूल झोंकते रहेंगे। ऐसे बेलगाम हो चुके अधिकारियों पर क्या मुख्यमंत्री सख्त कार्रवाई करेंगे,यह यक्ष प्रश्न है?