शिक्षक की भूमिका पर देश के पूर्व राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने कहा था कि “समाज में शिक्षक का पद अत्यधिक महत्वपूर्ण होता है। वे नए पीढ़ियों को विचारशीलता और तकनीकी कौशल का पाठ प्रदान करने का केंद्र होते हैं, साथ ही सांस्कृतिक उत्थान की दिशा में भी योगदान करते हैं।” एक सच्चे शिक्षक की पहचान यही होती है कि उनका प्रभाव विद्यार्थियों के जीवन में लंबे समय तक बना रहता है। परंतु उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल जिले के रिखणीखाल ब्लॉक के राजकीय प्राथमिक विद्यालय किल्बौखाल के शिक्षक देवेंद्र लाल ऐसे हैं, जिनका आचरण इन धारणाओं के बिल्कुल विपरीत है। उन्होंने अपने व्यवहार से यह सिद्ध कर दिया है कि वास्तव में यह सत्य नहीं है सभी शिक्षक आदर के पात्र नहीं होते हैं।
बताया जा रहा है कि शिक्षक देवेंद्र लाल स्कूल में शराब पीकर आए और शिक्षा क्षेत्र में कार्यरत महत्वपूर्ण सहायक शिक्षकों को सस्पेंड कर दिया। उनके लिए यह भी कहा गया है कि वे शराब पीकर स्कूल आते हैं और बच्चों के साथ गाली गलौज करते हैं।
जिला शिक्षाधिकारी प्रारंभिक शिक्षा सावेद आलम ने मामले की प्रारंभिक जांच में शिक्षक पर लगे आरोपों को सही पाते हुए सहायक अध्यापक देवेंद्र लाल को निलंबित कर दिया है।
शिकायत की जांच में बताया गया कि आरोपी शिक्षक छात्र-छात्राओं के साथ मारपीट करता था तथा उनके साथ अशिष्ट भाषा का प्रयोग करता था। विभाग की ओर से इस मामले शिक्षक से इस प्रकार की कार्रवाई की जाने के लिए लिखित नोटिस भेजे थे, लेकिन सहायक अध्यापक ने उन आदेशों का पालन नहीं किया।
शिक्षक देवेंद्र लाल ने स्वीकार किया कि वो स्कूल में शराब पीकर आए और बच्चों के साथ अशिष्ट भाषा का प्रयोग भी किया था। जिसके चलते उन्हें सस्पेंड कर दिया गया है।