देहरादून। वर्ष 2015 में हुई सीधी दरोगा भर्ती में बड़े पैमाने पर धांधली हुई थी। इसमें 339 दरोगा सीधी भर्ती के माध्यम से भर्ती हुए थे। यह परीक्षा पंतनगर विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित कराई गई थी। पुलिस मुख्यालय के निर्देश पर इस धांधली की जांच विजिलेंस से कराने की संस्तुति दी गई थी। जिसमें विजिलेंस ने प्राथमिक जांच के बाद अक्टूबर 2022 को मुकदमा दर्ज किया था। जिस पर पुलिस मुख्यालय के निर्देश द्वारा 20 दरोगाओं को निलंबित कर दिया गया था, लेकिन अब इन सभी 19 दरोगाओं को 1 साल बाद बहाल कर दिया है। जबकि एक दरोगा पुष्पेंद्र की सड़क हादसे में मौत हो चुकी है। पुलिस मुख्यालय में उनकी बहाली जांच में निर्दोष पाए जाने के कारण नहीं, बल्कि 1 वर्ष का समय होने के कारण की है। अगर जांच में किसी भी दरोगा के खिलाफ आरोप सिद्ध होते हैं तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है।
यहां बता दें कि पुलिस मुख्यालय द्वारा इस धांधली की जांच विजिलेंस द्वारा कराई जा रही थी, विजिलेंस ने पिछले दिनों अपनी जांच पूरी कर रिपोर्ट शासन को भेज दी थी। जांच की शुरुआत में विजिलेंस ने शक जताया था कि कुल भर्ती दरोगाओं में से कम से कम 33 फ़ीसदी दरोगा नाकाबिल हैं। विजिलेंस को इनमें से कुछ दरोगाओं के खिलाफ साक्ष्य भी मिल चुके हैं, लेकिन कई दरोगा ऐसे भी हैं जिनका इस मामले में बेवजह नाम घसीटा गया है, वह अपनी योग्यता से परीक्षा में पास हुए थे। विजिलेंस ने पूरे मामले की जांच कर अपनी रिपोर्ट शासन को भेज दी थी, अब पुलिस मुख्यालय के आदेश पर इन दरोगाओं को बहाल कर दिया गया है।